सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख
न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने इस मामले को "अत्यंत गंभीर" बताते हुए पशु प्रेमियों के हस्तक्षेप आवेदनों को ठुकरा दिया। सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा riaprted_textअपने बच्चों की बलि नहीं दे सकते।" अदालत ने अधिकारियों को आवारा कुत्तों को पकड़ने, उनकी बधियाकरण और टीकाकरण करने, और उन्हें श्वान आश्रय स्थलों में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया।
पशु प्रेमियों को फटकार
जब एक पशु कल्याण कार्यकर्ता ने कहा कि दिल्ली में पहले से ही पशु जन्म नियंत्रण केंद्र हैं, तो न्यायमूर्ति पारदीवाला ने जवाब दिया, "कुछ भी काम नहीं कर रहा। अब कार्रवाई का समय है।" उन्होंने पशु प्रेमियों से पूछा, "क्या आप उन बच्चों को वापस ला सकते हैं जो रेबीज के शिकार हुए?" कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह आदेश केवल आवारा कुत्तों पर लागू है, न कि पालतू कुत्तों पर।
रेबीज की गंभीर समस्या
अदालत ने रेबीज की गंभीरता पर जोर देते हुए कहा कि इसका कोई इलाज नहीं है। "हमने यूट्यूब पर बच्चों को मरते और माता-पिता को असहाय रोते देखा है। डॉक्टर भी कहते हैं कि इसका कोई इलाज नहीं है।" कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर के सभी इलाकों से आवारा कुत्तों को पूरी तरह हटाने के लिए "बलपूर्वक अभियान" चलाने का आदेश दिया।
अधिकारियों को सख्त निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर के अधिकारियों को निम्नलिखित कदम उठाने के लिए कहा:
आवारा कुत्तों को पकड़ना और उन्हें दूरदराज के आश्रय स्थलों में स्थानांतरित करना।
कुत्तों का बधियाकरण और टीकाकरण सुनिश्चित करना।
शहर के किसी भी हिस्से में आवारा कुत्ता नजर नहीं आना चाहिए।
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