कहां से आया कोरोना, भारत भी डब्ल्यूएचओ से करेगा सवाल

                                           


जिनेवा के सम्मेलन में 60 देशों की इस मांग का करेगा समर्थन


नई दिल्ली/अक्षर सत्ता/ऑनलाइन। भारत जिनेवा में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के 2 दिन के अहम सम्मेलन में हिस्सा ले रहे 60 देशों की उस मांग का समर्थन करेगा जिसमें कोविड-19 संकट की वैश्विक प्रतिक्रिया प्रणाली का ‘निष्पक्ष, स्वतंत्र और समग्र’ आकलन किए जाने और घातक संक्रमण का ‘पशुजन्य स्रोत’ का पता लगाने की बात है। डब्ल्यूएचओ की विश्व स्वास्थ्य सभा (डब्ल्यूएचए) की सोमवार से शुरू हुई 2 दिवसीय 73वीं सभा, वायरस की चीन के शहर वुहान में उत्पत्ति की जांच को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगातार बनाए जा रहे दबाव की पृष्ठभूमि में हो रही है। इस मुद्दे को लेकर चीन और अमेरिका में जुबानी जंग चल रही है। ऐसी संभावना है कि डब्ल्यूएचए वैश्विक महामारी से निपटने के लिए अतिरिक्त संसाधन जुटाने के विषय पर जोर देगी। इस कदम को समर्थन देने वालों में अमेरिका का नाम नहीं नजर आया है।
डब्ल्यूएचओ की 1948 में स्थापना के बाद से सबसे महत्वपूर्ण बैठकों में से एक
विश्व स्वास्थ्य संगठन का सम्मेलन अमूमन तीन सप्ताह का होता है लेकिन इस बार सिर्फ दो दिन सोमवार और मंगलवार को आयोजित किया जा रहा है। ऐसी संभावना है कि इस बार सम्मेलन में मुद्दा सिर्फ कोविड-19 पर ही केंद्रित रहे। डब्ल्यूएचओ प्रमुख टेड्रोस अधोनोम घेब्रेयसस ने शुक्रवार को बताया कि यह सम्मेलन डब्ल्यूएचओ की 1948 में हुई स्थापना के बाद से सबसे महत्वपूर्ण बैठकों में से एक है। हालांकि इस संकट से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर किसी भी सहमति तक पहुंचने की संभावना अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते तनावपूर्ण संबंधों की वजह से मुश्किल है। इस तनाव के बाद भी देशों को उम्मीद है कि वह इस पर सर्वसम्मति तक पहुंचेंगे।


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