प्यारा गुलमोहर
घनी-हरी पत्तियां प्यारी, मनभावन खुशियों की क्यारी।लदी-फंदी फूलों से डाली, गुलमोहर की छटा निराली।
लाल-नारंगी फूल निराले, भंवरे झूम रहे मतवाले।
सुबह-शाम सूरज की लाली, कर जाती रंगों को खाली।
तितली करती घुमर-घुमर, प्यारा-प्यारा गुलमोहर।
नरेन्द्र सिंह नीहार
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