भारतीय रेलवे की ऐतिहासिक धरोहर: "सम्राट" हैरिटेज लोको स्मारक का अनावरण


जबलपुर। भारतीय रेलवे ने अपनी समृद्ध विरासत को संरक्षित करने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है। पश्चिम मध्य रेल मुख्यालय के उद्यान में ऐतिहासिक रेल इंजन "सम्राट" हैरिटेज लोको स्मारक का अनावरण किया गया। यह लोकोमोटिव भारतीय रेलवे की पुरानी यादों और गौरवशाली इतिहास का प्रतीक है, जिसे भविष्य की पीढ़ियों के लिए संरक्षित किया गया है।

महाप्रबंधक श्रीमती शोभना बंदोपाध्याय ने स्मारक का अनावरण करते हुए कहा, "सम्राट" न केवल भारतीय रेलवे की तकनीकी प्रगति का उदाहरण है, बल्कि यह लोको कर्मचारियों और आमजन में रेलवे के प्रति उत्सुकता और गौरव का भाव भी जगाएगा।

"सम्राट" लोकोमोटिव की खासियत

"सम्राट" हैरिटेज लोको (नंबर 517 ZDM5) का निर्माण 1991 में चित्तरंजन लोकोमोटिव वर्क्स (सीएलडब्लू) द्वारा किया गया था। 450 एचपी इंजन और डीजल-इलेक्ट्रिक ट्रांसमिशन प्रणाली से लैस यह लोको 50 किमी/घंटा की गति से चलने में सक्षम था। नैरो गेज ट्रैक पर अपनी सेवाएं देते हुए यह लोकोमोटिव मध्य भारत के विभिन्न मार्गों पर 33 वर्षों तक रेल परिवहन की रीढ़ बना रहा।

कार्यक्रम की प्रमुख बातें

इस ऐतिहासिक अनावरण कार्यक्रम में वरिष्ठ अधिकारियों और कर्मचारियों की उपस्थिति रही। अपर महाप्रबंधक नितिन चौधरी, प्रमुख मुख्य दूरसंचार एवं संकेत इंजीनियर श्री एकनाथ मोहकर, मण्डल रेल प्रबंधक कमल कुमार तलरेजा सहित मुख्यालय के अन्य विभागाध्यक्ष भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

कार्यक्रम में रेलवे कर्मचारियों और आम जनता ने "सम्राट" हैरिटेज लोको के साथ सेल्फी लेकर अपनी उपस्थिति दर्ज की। महाप्रबंधक ने इसे भारतीय रेल की गौरवशाली यात्रा का प्रतीक बताते हुए रेलवे की धरोहरों को संरक्षित रखने की आवश्यकता पर बल दिया।

पश्चिम मध्य रेल का सराहनीय प्रयास

पश्चिम मध्य रेल ने "सम्राट" को अपने मुख्यालय में स्थापित कर यह संदेश दिया है कि पुरानी धरोहरों को संरक्षित करना हमारी जिम्मेदारी है। यह स्मारक न केवल भारतीय रेलवे की तकनीकी और ऐतिहासिक प्रगति का प्रतीक है, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरित करेगा।

"सम्राट" हैरिटेज लोको स्मारक भारतीय रेलवे की अद्भुत धरोहरों में एक और गौरवशाली अध्याय जोड़ता है।

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