बरगी नगर/जबलपुर। इस्लाम धर्म के अनुयायियों के लिए मुबारक और आध्यात्मिक पाकीज़गी से लबरेज़ रमज़ान माह का आगमन चांद की तस्दीक के साथ ही गांव की सरज़मीं पर भी अपनी रूहानी मौजूदगी दर्र्ज करवा चुका है। बरगी, बरगी नगर, ग्राम पड़रहा, सोहड, राजाराम डूंगरिया और समीपवर्ती इलाकों में इबादतों का सिलसिला उसी चांद रात से परवान चढ़ चुका है। मस्जिदों के आंगनों में पाक माह रमज़ान की खास तरावीह नमाजों का आगाज़ कर दिया गया है, जिसमें तिलावत और इबादत की पुरसुकून फिज़ा हर सूं महसूस की जा रही है।
बरगी नगर की मदीना जामा मस्जिद कमेटी के सदर जनाब पप्पू भाई जान और सचिव परवेज़ खान ने तफ्सीलात पेश करते हुए बताया कि इस साल भी रमज़ान की मुकद्दस रातों को रौशन करने की जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश से तशरीफ लाए मेहमान हाफिज़ गुलाम दस्तगीर ने अपने कंधों पर उठाई है। रात्रिकालीन इशा की नमाज़ के फौरन बाद शुरू होने वाली इस तरावीह में कुरआन-ए-पाक की तिलावत का सिलसिला माहे रमज़ान की इबादतों का मरकज़ बन चुका है।
मौलाना हाफिज़ गुलाम दस्तगीर ने बयान करते हुए कहा कि इस मुबारक तरावीह नमाज के दौरान रोज़ाना कुरआन शरीफ का एक मुकम्मल पारा (अध्याय) जुबानी तौर पर नमाजियों को सुनाया जाता है। रोज़ाना एक पारा मुकम्मल कर, तमाम रमज़ान के 29 दिनों के दरमियान कुरआन-ए-पाक की मुकम्मल तिलावत की जाती है। यह तरावीह, दिनभर अदा की जाने वाली पांच वक्त की फर्ज़ नमाजों के इलावा होती है, जो रात की अंधियारी में इशा के बाद खास शिद्दत और पाकीज़गी से अदा की जाती है।
मस्जिद के पेश इमाम हाफिज़ अलीमुद्दीन ने वज़ाहत करते हुए कहा कि रोज़ा हर बालिग़ मुसलमान मर्द और औरत पर फर्ज़ करार दिया गया है, जिसे मुकम्मल आज़म और सब्र के साथ रखना लाज़िम है। रमज़ान की इन मुकद्दस घड़ियों में ज्यादा से ज्यादा नेक अमल करते हुए सवाब हासिल करना और जरूरतमंदों की इमकानी मदद करना हर मुसलमान का फर्ज़ है।
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