आलेख : कहीं भारी ना पड़ जाए मखाना पालिटिक्स! लेखक - सुसंस्कृति परिहार


लेखक - सुसंस्कृति परिहार

पिछले दिनों पीएम मोदीजी ने बिहार के भागलपुर में जब स्वागत के दौरान मखानों से सुसज्जित भारी भरकम माला पहनी तो वे अचंभित रह गए। जिससे उनका पूरा भाषण मखाना केन्द्रित हो गया। खुशी वे ये कह गए कि मखाना एक सुपर फूड है। जिसे वे साल में 300 दिन खाते हैं। शहरों में भी लोग इसे खूब खाते हैं। यह सुनकर सभा में आए तमाम बिहारी सकते में आ गए।
बहरहाल, इतना तो ठीक था इसको आगे गति देते हुए कहा कि मैंने इसका उत्पादन बढ़ाने, विभिन्न योजनाओं पर क्रियान्वयन का प्रोग्राम बना लिया है। अब यह विदेश जाएगा तथा इस सुपर फूड का फायदा वे ले सकेंगे। इसका सीधा मतलब ये हुआ कि यह व्यवसाय भी कारपोरेट के हाथ में गया यानि के शहरवासी जो इसका थोड़ा बहुत सेवन कर लेते थे। वे सब भी वंचित रह जाएंगे। ये कैसा विकास होगा साहिब।
बाज़ार में अभी सबसे सस्ता मखाना 1500 से  2000 प्रति किलो आता है, जबकि ब्रांडेड मखाना  4-5 हज़ार रुपये प्रति किलो है। बाद में जो रेट बढ़ेगा उससे सुपर फूड कुछ हजार अरब और करोड़पतियों तक ही पहुंच पाएगा।
आज जब 5 किलो मुफ़्त अनाज पर जीने वाली देश की 80 फीसद आबादी, जिसे दो वक्त की भर पेट रोटी भी नसीब नहीं हो पाती है, वो मखाना कैसे खायेगी ...?  और, बिहारी तो पूरे देश में सिर्फ पेट भरने मज़दूरी करने जाते हैं। उनके सामने मखाना परोसना निंदनीय है। इससे वे निश्चित आहत हुए होंगे। उनका सुपर फूड तो लिट्टी चोखा होता है जो कभी कभार नसीब में आता है। बाकी साल तो भूंजा में ही चलता है।
 इसीलिए पीएम मोदी के बयान पर राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने पलटवार किया है। तंज करते हुए उन्होंने एक्स पर पोस्ट में लिखा कि अबकी बार तो हमारे सवालों पर पीएम ने साल में 300 दिन ही मखाना खाने की बात कही है। अगली बार 350 दिन “बिहारी भूंजा” खाएंगे। 100 दिन भागलपुरी सिल्क पहनेंगे। छठ मैया का व्रत करेंगे। गंगा मैया में डुबकी लगाएंगे। जानकी मैया के मंदिर जाएंगे। बिहार से बचपन का रिश्ता स्थापित करेंगे। मधुबनी पेंटिंग्स का गमछा या कुर्ता पहनेंगे। भोजपुरी, मगही, अंगिका, बज्जिका, सुरजापुरी और मैथिली भाषा की 2-4 उधारी लाइनों से संबोधन की शुरुआत करेंगे। जननायक कर्पूरी ठाकुर, लोकनायक जयप्रकाश और अन्य महापुरुषों से संबंध बताएंगे।
विदित हो, पीएम ने बिना नाम लिए चारा खाने और किसानों को परेशान करने का आरोप लगाया था। जबकि आज तक चारा खाने का इल्ज़ाम सिद्ध नहीं हुआ है।लालू यादव भली-भांति समझ रहे हैं कि बिहार चुनाव नज़दीक है इसलिए उन्होंने जो भी कहा है वह सब आगे आने वाला परिदृश्य होगा। 
वैसे मखाना सुपरफूड उन पर भारी पड़ गया है इसलिए लालूजी ने उन्हें 350 दिन बिहारी भूंजा खाने की नेक सलाह दी है।
वस्तुत:मखाना पालिटिक्स उन्हें मंहगी पड़ सकती है। क्योंकि मखाना बिहार के आम लोगों के लिए दूर की कौड़ी है। अब तो जिस तरह से पिछले दिनों से देशी अर्थव्यवस्था कंगाली की ओर बढ़ रही है उसमें मखाने खाने की चर्चा  बेमानी सिद्ध होगी।

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