सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह को लगाई फटकार, कर्नल सोफिया कुरैशी पर टिप्पणी मामले में एसआईटी जांच के आदेश

नई दिल्ली | सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के कैबिनेट मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता कुंवर विजय शाह को भारतीय सेना की कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ की गई “अपमानजनक” और “गैर-जिम्मेदाराना” टिप्पणियों के लिए कड़ी फटकार लगाई। शीर्ष अदालत ने इस मामले की निष्पक्ष जांच के लिए तीन वरिष्ठ भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारियों की विशेष जांच टीम (एसआईटी) गठित करने का आदेश दिया। यह फैसला सोमवार को मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति ए जी मसीह की पीठ ने सुनाया।


क्या है मामला?

12 मई 2025 को इंदौर के पास एक कार्यक्रम में विजय शाह ने कथित तौर पर कर्नल सोफिया कुरैशी को “आतंकवादियों की बहन” कहकर संबोधित किया था। कर्नल कुरैशी भारतीय सशस्त्र बलों के “ऑपरेशन सिंदूर” का हिस्सा रही हैं, जो पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों के खिलाफ कार्रवाई से संबंधित है। उनकी प्रेस ब्रीफिंग के बाद यह मामला सुर्खियों में आया। शाह की टिप्पणी ने व्यापक विवाद को जन्म दिया और जनता में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली।

सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख

सुप्रीम कोर्ट ने शाह की माफी को खारिज करते हुए कहा कि उनकी टिप्पणियां “शर्मनाक” और “गटर की भाषा” जैसी थीं। पीठ ने स्पष्ट किया कि एक संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को अपनी बातों में जिम्मेदारी दिखानी चाहिए, खासकर जब देश संवेदनशील परिस्थितियों से गुजर रहा हो। कोर्ट ने मध्य प्रदेश पुलिस महानिदेशक को मंगलवार सुबह 10 बजे तक एसआईटी गठित करने का निर्देश दिया, जिसमें एक महिला एसपी रैंक की अधिकारी और एक आईजी या डीआईजी रैंक का अधिकारी शामिल होगा। यह भी सुनिश्चित किया गया कि एसआईटी के सभी अधिकारी मध्य प्रदेश कैडर से बाहर के हों।

कोर्ट ने कहा, “यह एक लिटमस टेस्ट है। हम चाहते हैं कि जांच निष्पक्ष हो और एसआईटी अपनी रिपोर्ट हमें सौंपे। हम इस मामले पर कड़ी नजर रखेंगे।” इसके साथ ही, कोर्ट ने विजय शाह को जांच में पूरा सहयोग देने और इस दौरान उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाने का आदेश दिया।

उच्च न्यायालय की भूमिका

इससे पहले, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने स्वत: संज्ञान लेते हुए शाह की टिप्पणियों को “अपमानजनक” और “अशोभनीय” करार दिया था। न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन और न्यायमूर्ति अनुराधा शुक्ला की पीठ ने 14 मई 2025 को पुलिस को शाह के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया था। इसके बाद, पुलिस ने बुधवार शाम को प्राथमिकी दर्ज की। शाह ने उच्च न्यायालय के इस आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की थी।

मंत्री की सफाई और कोर्ट की प्रतिक्रिया

शाह की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विभा दत्ता मखीजा ने दलील दी कि उनके मुवक्किल को गलत समझा गया और मीडिया ने मामले को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया। उन्होंने कहा कि शाह ने अपनी टिप्पणियों पर पश्चाताप व्यक्त किया है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इसे “घड़ियाली आंसू” करार देते हुए उनकी माफी को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई ने कहा, “आप एक मंत्री हैं, आपको अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए।”

राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएं

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि अदालत के आदेश का पालन करते हुए मंत्री के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। वहीं, कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया। 

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