मंत्री विजय शाह के खिलाफ दर्ज एफआईआर को हाईकोर्ट ने बताया 'घोर धोखाधड़ी', पुलिस को लगाई फटकार

भोपाल/नई दिल्ली। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने जनजातीय मामलों के मंत्री विजय शाह के खिलाफ दर्ज एफआईआर को लेकर कड़ी टिप्पणी करते हुए इसे राज्य सरकार की ओर से 'घोर धोखाधड़ी' करार दिया है। हाईकोर्ट ने साफ कहा कि जिस प्रकार से यह प्राथमिकी दर्ज की गई है, उसमें कानूनी प्रक्रिया की अनदेखी और मामले की गंभीरता के प्रति लापरवाही स्पष्ट नजर आती है।


जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस अनुराधा शुक्ला की खंडपीठ ने बृहस्पतिवार को सुनवाई के दौरान कहा कि यह एफआईआर इस तरह से तैयार की गई है कि यदि इसे अदालत में चुनौती दी जाए, तो इसके रद्द होने की पूरी संभावना है, क्योंकि इसमें अपराध के भौतिक विवरण ही नहीं हैं। अदालत ने कहा, "यह राज्य की ओर से घोर धोखाधड़ी है।"

पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल

अदालत ने यह भी कहा कि वह यह जानने का प्रयास नहीं कर रही कि इस 'बेढंगे प्रयास' के लिए राज्य पुलिस में कौन जिम्मेदार है, लेकिन भविष्य की सुनवाई में इस पर ध्यान दिया जाएगा। कोर्ट ने अपनी चिंता जताते हुए कहा कि अगर उचित निगरानी न की गई, तो ऐसा प्रतीत होता है कि पुलिस निष्पक्ष जांच नहीं कर पाएगी। इसलिए, कोर्ट ने जांच की निगरानी का निर्णय लिया है, हालांकि यह जांच एजेंसी की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप नहीं माना जाएगा।

शाह के खिलाफ गंभीर धाराओं में मामला

मंत्री विजय शाह के खिलाफ इंदौर जिले में आईपीसी की धाराओं 152, 196(1)(बी) और 197(1)(सी) के तहत मामला दर्ज किया गया है। ये धाराएं राष्ट्र की एकता-अखंडता को खतरे में डालने, सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने और समुदाय विशेष को लक्षित करने वाले कृत्य से संबंधित हैं।

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई याचिका

उल्लेखनीय है कि विजय शाह ने एफआईआर दर्ज कराने के हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है, जहां शुक्रवार को उनकी याचिका पर सुनवाई होगी। हाईकोर्ट ने बुधवार को कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ की गई आपत्तिजनक टिप्पणी पर स्वत: संज्ञान लेते हुए प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश दिए थे।

ऑपरेशन सिंदूर और सैन्य अधिकारियों की भूमिका

मामला उस वक्त गर्माया जब विजय शाह ने सार्वजनिक मंच से कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ कथित आपत्तिजनक बयान दिया। कर्नल कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सैन्य बलों की रणनीति और कार्रवाई से संबंधित पत्रकार वार्ताओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही थीं, जिनमें विदेश सचिव विक्रम मिसरी भी उपस्थित रहते थे।

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