पत्रकारिता दिवस पर राष्ट्रीय श्रमजीवी पत्रकार परिषद के संयोजक नलिन कांत बाजपेयी का बेबाक संदेश
📅 हिंदी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय श्रमजीवी पत्रकार परिषद के संयोजक नलिन कांत बाजपेयी ने देशभर के पत्रकार साथियों को शुभकामनाएं देते हुए पत्रकारिता के मूल धर्म और उसकी चुनौतियों पर बेबाक टिप्पणी की है।
🗞️ “एक समय था, जब कलम के आगे सत्ता झुकती थी”
बाजपेयी जी ने याद दिलाया कि वह दौर भी था जब पत्रकार की कलम के सामने बड़े से बड़ा रसूखदार सिर झुकाता था। आज भी ऐसे साहसी पत्रकार मौजूद हैं, जिनकी कलम न चेहरे देखती है, न जात-पात, न धर्म—वह सिर्फ सत्य और व्यवस्था को आईना दिखाती है।
लेकिन इस ईमानदार पत्रकारिता की कीमत चुकानी पड़ती है। या तो मैनेजमेंट उन्हें बाहर का रास्ता दिखा देता है, या स्वतंत्र पत्रकारों को शासन-प्रशासन के कोप का भाजन बनना पड़ता है।
🚫 “पत्रकारिता अगर धर्म है, तो दलाली उसका अपमान”
बाजपेयी जी ने स्पष्ट कहा कि यदि कोई व्यक्ति पत्रकारिता को सिर्फ स्वार्थ, दलाली या राजनीति का साधन बना रहा है, तो उसे पत्रकारिता छोड़ देनी चाहिए।
"पत्रकार बनकर किसी राजनीतिक दल का पिछलग्गू बनना पत्रकारिता नहीं, विश्वासघात है।"
🛑 “एकतरफा कलम से न तो सम्मान मिलेगा, न संतोष”
उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग एकतरफा लेखनी चलाते हैं, वे कभी भी सफल और सम्मानित पत्रकार नहीं बन सकते। निष्पक्ष पत्रकार को भले ही गालियां सुननी पड़ें, लेकिन समाज का भरोसा उसी पर टिका होता है।
💪 "अच्छे पत्रकारों को ही करना होगा नकली पत्रकारों का पर्दाफाश"
बाजपेयी जी ने कहा कि समाज में ऐसे चेहरे भी हैं जो पत्रकारिता के नाम पर सिर्फ दलाली और डर का धंधा चला रहे हैं। इन चेहरों को सामने लाना आज ईमानदार पत्रकारों की नैतिक जिम्मेदारी है।
"जब एक अच्छा पत्रकार दो शब्द लिखता है, तो उनमें इतनी ताकत होती है कि पूरा शासन-प्रशासन हिल जाता है।"
📣 "कलम न झुके, न रुके, न अटके, न भटके"
अंत में नलिन कांत बाजपेयी ने सभी पत्रकार साथियों से आह्वान किया कि पत्रकारिता के इस पावन दिन पर हम सभी सत्य के सैनिक बनें।
"हम न किसी पार्टी के गुलाम हैं, न किसी ताकत के कठपुतली।हमारी कलम ही हमारी पहचान है।"
🎉 हिंदी पत्रकारिता दिवस पर समस्त पत्रकार साथियों को हार्दिक शुभकामनाएं!
सत्य के साथ चलें, असत्य के खिलाफ कलम उठाएं। यही है सच्चे पत्रकार की सबसे बड़ी विजय।
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