सिर्फ तीन देश अब भारत से आगे
नीति आयोग के अनुसार, अब केवल अमेरिका, चीन और जर्मनी ही भारत से आर्थिक रूप से आगे हैं। जापान, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे विकसित देश अब भारत की अर्थव्यवस्था से पीछे रह गए हैं। सुब्रमण्यम ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के नवीनतम आंकड़े इस उपलब्धि की पुष्टि करते हैं। उन्होंने यह भी विश्वास जताया कि यदि भारत की विकास गति यही रही, तो अगले ढाई से तीन वर्षों में जर्मनी को भी पीछे छोड़कर भारत तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है।
भारत की अर्थव्यवस्था की प्रमुख विशेषताएं:
कुल आकार: 4 ट्रिलियन डॉलर से अधिक
वैश्विक रैंकिंग: चौथा स्थान
आगे के लक्ष्य: 2028 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का अनुमान
वैश्विक चुनौतियों में भारत की मजबूती
सुब्रमण्यम ने बताया कि वैश्विक आर्थिक मंदी की आशंकाओं, अमेरिका की टैरिफ नीतियों और सप्लाई चेन की चुनौतियों के बावजूद भारत ने यह मुकाम हासिल किया है। उन्होंने कहा, "जब वैश्विक अर्थव्यवस्थाएं चुनौतियों से जूझ रही हैं, तब भारत निवेशकों के लिए एक आकर्षक गंतव्य बना हुआ है। भारत की नीतिगत स्थिरता, कम उत्पादन लागत, कुशल जनशक्ति और विशाल बाजार ने हमें यह बढ़त दिलाई है।"
ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग में भारत की ताकत
Apple iPhone के उत्पादन को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में सुब्रमण्यम ने स्पष्ट किया कि अमेरिका में बिकने वाले iPhone का निर्माण वहां होना चाहिए। हालांकि, उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग के लिए सबसे किफायती और मजबूत केंद्र बना रहेगा। "भारत की उत्पादन क्षमता, कुशल श्रमिकों की उपलब्धता और नीतिगत स्थिरता हमें वैश्विक विनिर्माण में अग्रणी बनाए रखेगी," उन्होंने कहा।
भारत का भविष्य: तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की ओर
नीति आयोग के सीईओ ने भरोसा जताया कि भारत की आर्थिक प्रगति अगले कुछ वर्षों में और तेज होगी। उन्होंने कहा, "हमारी नीतियां, बुनियादी ढांचे का विकास और डिजिटल अर्थव्यवस्था में प्रगति हमें तीसरे स्थान तक ले जाएगी। यह भारत के लिए गर्व का क्षण है।"
क्यों है यह खबर महत्वपूर्ण?
आर्थिक नेतृत्व: भारत का चौथा स्थान वैश्विक आर्थिक शक्ति के रूप में उसकी स्थिति को मजबूत करता है।
निवेश का केंद्र: भारत की स्थिर नीतियां और विशाल बाजार इसे निवेशकों के लिए पसंदीदा बनाते हैं।
भविष्य की संभावनाएं: अगले कुछ वर्षों में भारत के तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की उम्मीद।
भारत की यह उपलब्धि न केवल आर्थिक आंकड़ों की जीत है, बल्कि यह देश की मेहनत, नीतियों और वैश्विक मंच पर बढ़ते प्रभाव का प्रमाण है।
Post a Comment