बेंगलुरु : बारिश का कहर, करंट की चपेट में आए बुज़ुर्ग और मासूम, एक और दीवार ढही, तीन की जान गई

बेंगलुरु। भीगी सड़कों के साथ शहर में अब मौत भी बहने लगी है। मानसून की दस्तक से पहले ही बेंगलुरु जलप्रलय में डूब रहा है—और अब यह पानी सिर्फ़ परेशानी नहीं, जानलेवा साबित हो रहा है। शहर के बीटीएम सेकंड स्टेज क्षेत्र स्थित एनएस पाल्या के मधुवन अपार्टमेंट में एक बुज़ुर्ग और एक बालक की दर्दनाक मौत ने पूरे इलाके को स्तब्ध कर दिया है।


63 वर्षीय मनमोहन कामत, जो मधुवन अपार्टमेंट में रह रहे थे, सोमवार की शाम अपने फ्लैट में घुसे बारिश के पानी को हटाने के लिए मोटर पंप चलाने का प्रयास कर रहे थे। पुलिस जांच के अनुसार, जैसे ही उन्होंने पंप को बिजली के सॉकेट से जोड़ा, शॉर्ट सर्किट हुआ और बिजली ने उन्हें अपनी चपेट में ले लिया। करंट लगते ही वे ज़मीन पर गिर पड़े और उनकी सांसों की डोर वहीं थम गई।

इसी हादसे में अपार्टमेंट परिसर में काम करने वाले एक नेपाली कर्मचारी का 12 वर्षीय बेटा दिनेश भी काल के गाल में समा गया। वह घटनास्थल पर कामत के पास ही मौजूद था। जब तक परिजन और पड़ोसी कुछ समझ पाते, तब तक दोनों बेसुध हो चुके थे। अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

मीको लेआउट पुलिस ने मामले की पुष्टि करते हुए बताया कि दोनों मौतों को 'अप्राकृतिक मृत्यु' मानते हुए यूडीआर दर्ज की जा रही है। पुलिस अब मामले की तकनीकी पड़ताल में जुट गई है कि क्या मोटर या विद्युत वायरिंग में कोई लापरवाही रही।

इधर, एक और हादसा महादेवपुरा थाना क्षेत्र में सामने आया, जहाँ मूसलधार बारिश के बीच एक कच्ची दीवार धराशायी हो गई। मलबे में दबकर 35 वर्षीय महिला शशिकला की मौत हो गई। यह हादसा तब हुआ जब वह अपने छोटे से घर के भीतर मौजूद थीं।

तीन जानें—एक मौसम, एक शहर, और एक चेतावनी। बेंगलुरु की सड़कों पर बहता पानी अब केवल यातायात को नहीं रोक रहा, यह जिंदगियाँ भी निगल रहा है। यह घटनाएँ न सिर्फ़ प्रशासन के दावों पर सवाल उठाती हैं, बल्कि नागरिक सुरक्षा के ढाँचे को भी नंगा कर देती हैं।

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