नई दिल्ली, 24 मई 2025: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राजस्थान के कोटा शहर में छात्रों की आत्महत्याओं की बढ़ती घटनाओं को "बेहद गंभीर" बताते हुए राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई। जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने राजस्थान सरकार से सवाल किया कि आखिर कोटा में ही छात्र आत्महत्या क्यों कर रहे हैं और सरकार ने इस संकट को रोकने के लिए क्या कदम उठाए हैं। कोर्ट ने इस साल अब तक कोटा में 14 आत्महत्या के मामलों पर गहरी चिंता जताई।
सुप्रीम कोर्ट का कड़ा रुख
सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार के वकील से पूछा, "आप एक राज्य के रूप में क्या कर रहे हैं? कोटा में ही बच्चे क्यों आत्महत्या कर रहे हैं? क्या आपने इस पर विचार नहीं किया?" कोर्ट ने कोटा में एक 17 वर्षीय नीट छात्रा और आईआईटी खड़गपुर के 22 वर्षीय छात्र की आत्महत्या के मामलों की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। नीट छात्रा 3 मई को अपने कमरे में मृत पाई गई थी, जबकि आईआईटी छात्र 4 मई को अपने छात्रावास में फांसी पर लटका मिला था।
“ये छात्र क्यों मर रहे हैं? कोटा में अब तक 14 मामले सामने आए हैं। यह बहुत गंभीर बात है।” - सुप्रीम कोर्ट
एफआईआर न दर्ज करने पर नाराजगी
सुप्रीम कोर्ट ने कोटा पुलिस की लापरवाही पर भी सख्त नाराजगी जताई, खासकर नीट छात्रा की आत्महत्या के मामले में केवल मर्ग (इनक्वेस्ट) दर्ज करने और एफआईआर न दर्ज करने के लिए। कोर्ट ने इसे अपने पूर्व के फैसले की अवमानना करार दिया और पूछा, “अमीर कुमार केस में हमारे निर्देश के बावजूद एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की गई?” कोर्ट ने कोटा के संबंधित पुलिस अधिकारी को 14 जुलाई को स्थिति स्पष्ट करने के लिए तलब किया है।
विशेष जांच दल और राष्ट्रीय टास्क फोर्स
राजस्थान सरकार के वकील ने कोर्ट को बताया कि आत्महत्या के मामलों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है, जो इन मामलों की गहराई से जांच कर रहा है। हालांकि, कोर्ट ने इस जवाब को अपर्याप्त माना और सरकार से ठोस कदमों की मांग की। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि 24 मार्च 2025 को उसने एक राष्ट्रीय टास्क फोर्स का गठन किया था, जो शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों की मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का अध्ययन कर रहा है और आत्महत्या की घटनाओं को रोकने के लिए उपाय सुझाएगा।
महत्वपूर्ण तथ्य: कोटा में पिछले चार वर्षों में 72 छात्रों ने आत्महत्या की है, और राजस्थान में आत्महत्या के मामलों में 186% की वृद्धि दर्ज की गई है।
कोटा: कोचिंग हब और दबाव का केंद्र
कोटा, राजस्थान को देश का कोचिंग हब माना जाता है, जहां हर साल लाखों छात्र नीट, जेईई और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए आते हैं। लेकिन पढ़ाई का तीव्र दबाव, कोचिंग संस्थानों की प्रतिस्पर्धा और सामाजिक-मानसिक तनाव ने कोटा को आत्महत्या के मामलों का केंद्र बना दिया है। इस साल अब तक 14 छात्रों की आत्महत्या के साथ, यह मुद्दा गंभीर चिंता का विषय बन गया है।
प्रभावी कदम उठाने का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार को इस संकट से निपटने के लिए तत्काल और प्रभावी कदम उठाने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि आत्महत्या के मामलों में एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य है और इसकी अनदेखी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। विशेषज्ञों का कहना है कि कोटा में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने, काउंसलिंग सुविधाओं को बढ़ाने और कोचिंग संस्थानों पर सख्त निगरानी की आवश्यकता है।
إرسال تعليق