रेलवे में राजभाषा हिंदी को लेकर बड़ा कदम: जबलपुर में आयोजित हुई एक दिवसीय कार्यशाला

जबलपुर, 29 मई 2025 : पश्चिम मध्य रेलवे ने आज एक ऐतिहासिक पहल करते हुए महाप्रबंधक कार्यालय के चिकित्सा विभाग में एक दिवसीय हिंदी कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला का उद्देश्य सरकारी कार्यालयों में राजभाषा हिंदी के प्रयोग-प्रसार को बढ़ावा देना और कर्मचारियों को हिंदी में सरकारी कार्यों के सुगम निष्पादन हेतु प्रशिक्षित करना रहा।


इस कार्यशाला का आयोजन भारत सरकार, गृह मंत्रालय, राजभाषा विभाग एवं रेलवे बोर्ड के दिशा-निर्देशों के तहत हुआ। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती शोभना बंदोपाध्याय, महाप्रबंधक, पश्चिम मध्य रेल के संरक्षण तथा श्री मनोज कुमार गुप्ता, प्रमुख मुख्य सामग्री प्रबंधक व मुख्य राजभाषा अधिकारी के निर्देशन में हुआ। कार्यक्रम में तकनीकी मार्गदर्शन श्री प्रज्ञेश निंबालकर, उप मुख्य राजभाषा अधिकारी एवं उप मुख्य संरक्षा अधिकारी (यांत्रिक) द्वारा प्रदान किया गया।

53 अधिकारियों-कर्मचारियों को मिला हिंदी में कार्य करने का प्रशिक्षण

कार्यशाला में चिकित्सा विभाग के करीब 53 अधिकारियों व कर्मचारियों ने भाग लिया और हिंदी में कार्य करने की विधियों, तकनीकी शब्दावली और संघ की राजभाषा नीति पर व्याख्यान प्राप्त किए। पॉवर पॉइंट प्रजेंटेशन (PPT) के माध्यम से प्रतिभागियों को हिंदी के सरल और व्यावहारिक उपयोग की जानकारी दी गई।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित श्री अशोक कुमार, चिकित्सा निदेशक, केंद्रीय चिकित्सालय, जबलपुर ने ऑनलाइन रैफरल प्रणाली पर महत्वपूर्ण जानकारी साझा की। उन्होंने तकनीकी विषयों में भी हिंदी के प्रभावी उपयोग की संभावनाओं पर प्रकाश डाला।

राजभाषा को लेकर संवैधानिक जिम्मेदारी का स्मरण

कार्यशाला में श्री प्रज्ञेश निंबालकर ने अपने प्रेरणादायक उद्बोधन में कहा, "हिंदी भारत संघ की राजभाषा है और यह प्रत्येक केंद्रीय कर्मचारी का संवैधानिक दायित्व है कि वह राजभाषा का अधिकतम उपयोग करे।" उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रम न केवल भाषा के प्रति जागरूकता बढ़ाते हैं, बल्कि कार्यालयी वातावरण को भी हिंदीमय बनाने में मदद करते हैं।

कार्यक्रम का समापन सराहना और आभार के साथ

कार्यक्रम का संचालन राजभाषा अधिकारी (मुख्यालय) द्वारा किया गया, जबकि वरिष्ठ अनुवादक ने सभी उपस्थितजनों के प्रति आभार व्यक्त किया।

इस कार्यशाला के माध्यम से पश्चिम मध्य रेलवे ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया कि वह न केवल तकनीकी उत्कृष्टता की दिशा में अग्रसर है, बल्कि राजभाषा हिंदी के संवर्धन को लेकर भी पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

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