मध्यप्रदेश में वित्तीय अधिकारों का बड़ा फैसला: CM मोहन यादव की अध्यक्षता में मंत्रि-परिषद ने दी वित्तीय अधिकार पुस्तिका 2025 को मंजूरी

भोपाल: मध्यप्रदेश सरकार ने शासकीय कार्यों में पारदर्शिता और दक्षता बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। मंगलवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई मंत्रि-परिषद की बैठक में वित्तीय अधिकार पुस्तिका 2025 (भाग-1) को मंजूरी दे दी गई। यह नई पुस्तिका 1 जुलाई, 2025 से लागू होगी। मंत्रि-परिषद ने वित्त विभाग को लिपिकीय त्रुटियों को सुधारने और भविष्य की आवश्यकताओं के अनुसार संशोधन करने की अनुमति भी प्रदान की है। साथ ही, इसका हिंदी अनुवाद जारी करने की मंजूरी दी गई है।



क्यों जरूरी था संशोधन?
वित्तीय अधिकार पुस्तिका 2012 में संशोधन की आवश्यकता 13 वर्षों में विभिन्न मदों की लागत में वृद्धि, नए व्यय स्वरूपों के प्रचलन, अप्रासंगिक मदों और कार्यालयीन उपकरणों के विलोपन, अधिकारों के विकेंद्रीकरण और बजट प्रावधान के समयबद्ध उपयोग जैसे कारणों से पड़ी। इस संशोधन का उद्देश्य शासकीय कार्यों में 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' को बढ़ावा देना है।

नई पुस्तिका के प्रमुख प्रावधान

  • बजट नियंत्रण अधिकारी की नियुक्ति: प्रशासकीय विभागों को बजट नियंत्रण अधिकारी घोषित करने का अधिकार।

  • कंसल्टेंसी और इंटर्न्स: कंसल्टेंसी फर्म/एजेंसी से कार्य और इंटर्न्स को नियुक्त करने की अनुमति।

  • मानदेय और पेंशन: मूलभूत नियम 46 के तहत मानदेय स्वीकृति और पेंशन/उपदान के अतिरिक्त भुगतान को राइट ऑफ करने का अधिकार।

  • भवन तोड़ने की अनुमति: संबंधित विभाग को भवनों को तोड़ने की अनुमति।

  • मेडिकल एडवांस: 80% मेडिकल एडवांस देने का अधिकार विभागों को, बिना स्वास्थ्य एवं चिकित्सा विभाग के परामर्श के।

'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' की दिशा में कदम
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा, “वित्तीय अधिकार पुस्तिका 2025 का अनुमोदन मध्यप्रदेश में शासकीय कार्यों को और अधिक सुगम और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह विकेंद्रीकरण और समयबद्ध कार्यान्वयन को बढ़ावा देगा।”

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