कटनी की अनीता बनी आत्मनिर्भरता की मिसाल, किराना दुकान और बैंक सखी कार्य से हासिल कर रहीं सम्मान और आय
कटनी। "अगर मन में दृढ़ निश्चय हो, तो कोई भी बाधा जीवन की राह नहीं रोक सकती" — इस कहावत को कटनी जिले की अनीता केवट ने सच कर दिखाया है। एक समय आर्थिक संकट से जूझ रही अनीता आज स्व-सहायता समूह की सदस्य बनकर हर महीने 15 हजार रुपये से अधिक की आमदनी कर रही हैं और अपने परिवार का जीवन खुशहाल बना चुकी हैं।
- कृषि से संघर्ष भरे जीवन की शुरुआत
कटनी जिले के विकासखंड बड़वारा की रहने वाली अनीता केवट, बारहवीं तक शिक्षित हैं। उनका विवाह श्री समय लाल केवट से हुआ और एक बेटी की मां हैं। पहले इनका परिवार परंपरागत कृषि पर ही निर्भर था, जिसमें उत्पादन कभी अच्छा होता, तो कभी बहुत ही कम, जिससे आर्थिक तंगी बनी रहती थी।
- उन्नति स्व-सहायता समूह बना जीवन का टर्निंग पॉइंट
अनीता बताती हैं कि उन्हें महिला स्व-सहायता समूह के बारे में जानकारी मिली, तो उन्होंने जुड़ने का निर्णय लिया। शुरुआत में उन्होंने समूह से 10 हजार रुपये का ऋण लेकर किराना दुकान खोली, जिसे समय पर चुकता भी कर दिया।
इसके बाद उन्होंने कृषि कार्य के लिए 25 हजार और दुकान विस्तार के लिए 70 हजार का ऋण लिया, इस तरह कुल 1 लाख 5 हजार रुपये का ऋण, जिसे अनीता ने ब्याज सहित चुका दिया।
- बैंक सखी बनकर आय का नया जरिया
स्व-सहायता समूह से जुड़ने के बाद अनीता ने बैंक सखी के रूप में भी काम शुरू किया, जिससे उन्हें प्रति वर्ष 36 हजार रुपये की अतिरिक्त आय हो रही है। इन सभी गतिविधियों से अब अनीता की मासिक आय 15 हजार रुपए तक पहुँच गई है।
- शासन की योजनाओं का मिला भरपूर लाभ
अनीता को उज्ज्वला योजना के अंतर्गत गैस कनेक्शन, लाड़ली बहना योजना और लाड़ली लक्ष्मी योजना जैसे सरकारी योजनाओं का लाभ भी प्राप्त हो रहा है। इससे उनके परिवार की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
- आत्मनिर्भरता और सम्मान की पहचान बनीं अनीता
स्व-सहायता समूह की सक्रिय सदस्य बनने के बाद अनीता का सामाजिक दायरा बढ़ा है। आज आस-पास के लोग उन्हें सम्मान की दृष्टि से देखते हैं। उनकी बेटी को अच्छी शिक्षा और परवरिश मिल रही है।
कटनी की अनीता केवट की यह प्रेरणादायक कहानी न सिर्फ आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक कदम है, बल्कि यह दिखाती है कि सरकारी योजनाएं और स्व-सहायता समूह मिलकर ग्रामीण महिलाओं की आर्थिक स्थिति बदलने में कितने कारगर हैं। अनीता की मेहनत, साहस और योजना से जुड़ाव ने उन्हें एक आदर्श ग्रामीण महिला उद्यमी बना दिया है।
إرسال تعليق