✍️ रिपोर्ट: अक्षर सत्ता
मंडला। "अगर हौसले बुलंद हों तो रास्ते खुद-ब-खुद बनते हैं।" मध्यप्रदेश के मंडला जिले की बीजाडांडी ग्राम पंचायत की रहने वाली सुनीता झारिया ने इस कहावत को सच कर दिखाया है। एक समय आर्थिक संकट से जूझने वाली सुनीता आज स्व-सहायता समूह की मदद से आत्मनिर्भर महिला उद्यमी बन चुकी हैं और हर महीने ₹15,000 से ₹18,000 की आमदनी कर रही हैं।
👩👧👦 मजदूरी से सिलाई मशीन तक का सफर
सुनीता का परिवार पहले केवल मजदूरी पर निर्भर था। काम मिलने या न मिलने के बीच झूलते इस जीवन को बदलने का सपना जरूर था, लेकिन संसाधनों की कमी थी।
सुनीता बताती हैं—
"मेरे और मेरे पति दोनों को सिलाई का शौक था, लेकिन आर्थिक तंगी के चलते हम कुछ कर नहीं पा रहे थे।"
🤝 तेज सुर्या स्व-सहायता समूह से मिली नई दिशा
मध्यप्रदेश दीनदयाल अंत्योदय योजना राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत "तेज सुर्या आजीविका स्व-सहायता समूह" से जुड़ने के बाद सुनीता का जीवन एक नए मोड़ पर आया।
उन्होंने समूह में नियमित बचत करना शुरू किया और समूह की एक बैठक में जब निःशुल्क सिलाई प्रशिक्षण की जानकारी मिली, तो सुनीता ने बिना देर किए उसका लाभ उठाया।
प्रशिक्षण पूरा करने के बाद समूह से ₹35,000 की ऋण सहायता ली, जिससे उन्होंने एक सिलाई मशीन, कपड़े और आवश्यक सामान खरीदा और अपने पति के साथ मिलकर सिलाई व्यवसाय की शुरुआत की।
🪡 छोटे कदम से बड़े सपने साकार
शुरुआत में चुनौतियाँ थीं, लेकिन सुनीता ने हार नहीं मानी। धीरे-धीरे गाँव में उनकी सिलाई की दुकान चल निकली और ग्राहक बढ़ते चले गए।
आज सुनीता की आमदनी इतनी है कि उनके परिवार को मजदूरी पर निर्भर नहीं रहना पड़ता। उनकी दुकान में महिलाओं के कपड़े सिलने का अच्छा-खासा ऑर्डर आता है।
🌟 गाँव की महिलाओं के लिए प्रेरणा बनीं सुनीता
सुनीता कहती हैं—
"आज मैं खुद को आत्मनिर्भर महसूस करती हूँ। अब मैं चाहती हूँ कि गाँव की अन्य महिलाएं भी समूह से जुड़ें और खुद का रोजगार शुरू करें।"
उनकी यह यात्रा उन सभी महिलाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत है, जो आर्थिक और सामाजिक कठिनाइयों से जूझ रही हैं, लेकिन बदलाव की चाह रखती हैं।
🔎 ग्रामीण महिला उद्यमिता का चमकता उदाहरण
सुनीता झारिया की कहानी एक उदाहरण है कि स्व-सहायता समूह और राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन जैसे सरकारी प्रयास किस तरह से जमीनी स्तर पर सकारात्मक बदलाव ला रहे हैं।
यह सिर्फ रोजगार नहीं, बल्कि सम्मान और आत्मगौरव की दिशा में बढ़ा कदम है।
सुनीता झारिया ने दिखा दिया है कि अगर सही मार्गदर्शन, सहयोग और आत्मविश्वास मिले, तो एक साधारण महिला भी ग्राम्य अर्थव्यवस्था का मजबूत स्तंभ बन सकती है। बीजाडांडी की यह महिला अब सिर्फ अपने परिवार की नहीं, बल्कि गाँव की समस्त महिलाओं की उम्मीद बन चुकी हैं।
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