✨ जबलपुर में ‘पहल’ और ‘अन्विति’ की अनूठी साहित्यिक व कला संगोष्ठी: कविता, कहानी और चित्रकला का दो दिवसीय उत्सव 28-29 जून को

रचना परिधि के चार सत्रों में देशभर के प्रतिष्ठित रचनाकारों की भागीदारी, अवधेश बाजपेयी की चित्रकला प्रदर्शनी भी होगी आकर्षण का केंद्र

जबलपुर। साहित्य, कला और संस्कृति को समर्पित शहर जबलपुर एक बार फिर एक भव्य साहित्यिक और कलात्मक आयोजन का साक्षी बनने जा रहा है। 28 और 29 जून 2025 को रानी दुर्गावती संग्रहालय की कलावीथिका में ‘पहल’ एवं ‘अन्विति’ द्वारा दो दिवसीय कार्यक्रम ‘रचना परिधि के चार सत्र’ का आयोजन किया जाएगा। इसमें देश के ख्यातिप्राप्त कवि, कथाकार और चित्रकार एक ही मंच पर अपनी रचनात्मक उपस्थिति दर्ज कराएंगे।




📖 पहले दिन (28 जून): कविता और कहानी की रचनात्मक बारिश

कार्यक्रम का शुभारंभ 28 जून को पूर्वान्ह 11:30 बजे होगा, जिसमें जबलपुर और देशभर के चर्चित कवि अंकित शब्द समर, भारती शुक्ल, हनुमंतकिशोर शर्मा, नरेश जैन, कुन्दन सिद्धार्थ, बाबुषा कोहली और जितेन्द्र भार्गव अपनी कविताओं का पाठ करेंगे।

दूसरा सत्र शाम 6:30 बजे आरंभ होगा, जो कहानी पाठ को समर्पित रहेगा। इस सत्र में मनोज पाण्डेय, तरुण भटनागर और श्रद्धा श्रीवास्तव अपनी कहानियाँ प्रस्तुत करेंगे। साथ ही आलोचक और संपादक डॉ. सूरज पालीवालनई सदी की कहानी का कथ्य रूप” विषय पर अपनी आलोचनात्मक टिप्पणी देंगे।


📚 दूसरे दिन (29 जून): समकालीन स्वर और विचारों की गूंज

तीसरा सत्र सुबह 11:30 बजे आरंभ होगा जिसमें मनोहर बिल्लौरे, शैली दीवान, अलंकृति श्रीवास्तव, राजीवकुमार शुक्ल, श्रद्धा सुनील, तरुण गुहा नियोगी, विवेक चतुर्वेदी और दीप्ति पटेल कविता पाठ करेंगे।

चौथे और अंतिम सत्र में, नामचीन कथाकार विमल पाण्डेय, शिवेन्द्र और शैली बक्षी खड़खोतकर अपनी कहानियों का पाठ करेंगे। समापन अवसर पर वैभव सिंह "कहानी का समकाल और राजनैतिक चेतना" विषय पर विश्लेषण प्रस्तुत करेंगे।


🎨 कला प्रदर्शनी: अवधेश बाजपेयी के चित्रों का सौंदर्य

दोनों दिन, आयोजन स्थल की कलावीथिका की भित्तियों पर प्रख्यात चित्रकार एवं शिल्पकार श्री अवधेश बाजपेयी के कलाकृतियों की दर्शनीय प्रदर्शनी भी दर्शकों के लिए खुली रहेगी, जो साहित्य और दृश्य कला के समन्वय का अद्भुत उदाहरण बनेगी।


📌 सांस्कृतिक उत्सव से कम नहीं :

यह आयोजन केवल कविता और कहानी पाठ तक सीमित नहीं, बल्कि यह भारतीय समकालीन साहित्य, आलोचना और चित्रकला की बहुआयामी प्रस्तुति है, जिसमें नई पीढ़ी और परंपरा दोनों की आवाज़ें सुनाई देंगी। जबलपुरवासियों और साहित्यप्रेमियों के लिए यह आयोजन किसी सांस्कृतिक उत्सव से कम नहीं है।

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