🧾 कोर्ट का सख्त रुख: सीलबंद रिपोर्ट नहीं, सार्वजनिक जवाबदेही चाहिए
📉 कोर्ट ने नहीं दी राहत, पूछा- “हमें क्यों रुकना चाहिए?”
सरकार द्वारा 20-25 दिन का समय मांगे जाने पर कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कार्यवाही राज्य की आंतरिक समय-सीमा से नहीं बंधी है। कोर्ट ने कड़े शब्दों में पूछा,
“हमें इससे रुकने की क्या जरूरत है?”इसके साथ ही पीठ ने कहा कि वह इस मुद्दे पर निर्णय लेने से पहले न्यायमित्र से परामर्श लेगी।
⚖️ आरसीबी, केएससीए और डीएनए नेटवर्क्स होंगे पक्षकार
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वह आईपीएल मैच के प्रबंधन में शामिल तीन प्रमुख संस्थाओं:
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कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ (KSCA)
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रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (RCB)
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डीएनए नेटवर्क्सको इस मामले में प्रतिवादी पक्ष बनाएगी। यह कदम उन संस्थाओं की भूमिका की जांच के लिए उठाया गया है जो आयोजन के लिए ज़िम्मेदार थीं।
🧑⚖️ सीलबंद लिफाफे पर आपत्ति: पारदर्शिता बनाम गोपनीयता
याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने तीखी आपत्तियाँ दर्ज करते हुए कहा:
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“सीलबंद लिफाफे से अस्पष्टता की संस्कृति को बढ़ावा मिलता है।”
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“यह प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन है, और सरकार को रिपोर्ट सार्वजनिक करनी चाहिए।”
💵 मुआवज़े की मांग और आगे की कार्रवाई
कोर्ट ने उन वकीलों को निर्देश दिया जिन्होंने पीड़ितों के मुआवज़े में वृद्धि की मांग की थी कि वे अपना आवेदन महाधिवक्ता को प्रस्तुत करें, ताकि सरकार उचित उत्तर दे सके।
कोर्ट ने अगली सुनवाई 23 जून 2025 को निर्धारित की है, जिसमें रिपोर्ट, पक्षकारों के जवाब और न्यायमित्र की सलाह पर विस्तृत चर्चा होगी।
🔍 मामले की मुख्य बातें (Key Points):
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हाईकोर्ट ने पारदर्शिता पर बल दिया, सीलबंद रिपोर्ट पर सवाल उठाए
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सरकार ने जांच के पूर्वाग्रह से बचने के लिए रिपोर्ट गोपनीय रखने की दलील दी
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कोर्ट ने आईपीएल आयोजकों को मामले में पक्षकार बनाने का आदेश दिया
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सीलबंद रिपोर्ट की आलोचना करते हुए याचिकाकर्ताओं ने न्याय की खुली प्रक्रिया की मांग की
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अगली सुनवाई 23 जून को होगी
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