जबलपुर की सड़कों पर जान का संकट: खुले सीवर चैंबर बने हादसों का सबब, मानव अधिकार आयोग सख्त

जबलपुर। मध्यप्रदेश की सांस्कृतिक नगरी जबलपुर में अब विकास के नाम पर बुनियादी लापरवाही जानलेवा साबित हो रही है। शहर के उपनगरीय क्षेत्रों—विशेषकर गढ़ा और आसपास की सड़कों पर सीवर चेंबर और पाइपलाइन कार्यों में भारी लापरवाही सामने आई है। कहीं खुले गड्ढे हैं तो कहीं सीवर चेंबरों के ढक्कन या उनके भीतर के लोहे के तार तक चोरी हो चुके हैं। इस बदइंतज़ामी से वाहन चालकों और राहगीरों की जान हर वक्त खतरे में है।


दुर्घटनाओं का बड़ा कारण बन चुके इन खुले ढक्कनों को लेकर आमजन में भारी आक्रोश है। रात के समय ये गड्ढे और भी अधिक खतरनाक साबित हो रहे हैं, क्योंकि रोशनी की कमी के चलते हादसे की आशंका कई गुना बढ़ जाती है।

स्थिति की गंभीरता को देखते हुए अब मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने मामले का स्वतः संज्ञान लिया है। आयोग के क्षेत्रीय कार्यालय प्रभारी फरजाना मिर्जा ने बताया कि, इस मामले में आयोग की भोपाल स्थित मुख्य पीठ द्वारा सदस्य राजीव कुमार टंडन की एकलपीठ ने इसे मानव अधिकार हनन की श्रेणी में माना है।

आयोग ने जबलपुर कलेक्टर और नगर निगम आयुक्त को निर्देश जारी करते हुए कहा है कि—

  • इस गंभीर लापरवाही की जांच रिपोर्ट तीन सप्ताह के भीतर सौंपी जाए।

  • अब तक इस विषय में क्या कार्यवाही की गई, इसका विस्तृत प्रतिवेदन भी प्रस्तुत किया जाए।

यह पहला मौका नहीं है जब जबलपुर में बुनियादी सुविधाओं की बदहाली उजागर हुई हो, लेकिन मानव अधिकार आयोग की सक्रियता ने उम्मीद जगाई है कि दोषियों की जवाबदेही तय की जाएगी।

जनता की मांग है कि—

  • नगर निगम नियमित निरीक्षण करे।

  • खुले चेंबर और गड्ढों को तत्काल बंद किया जाए।

  • चोरी के मामलों में एफआईआर दर्ज कर कड़ी कार्रवाई हो।

शहरवासी अब इंतज़ार कर रहे हैं कि क्या प्रशासन इस चेतावनी को गंभीरता से लेकर जमीनी सुधार करेगा, या फिर लापरवाही की ये कहानी किसी और हादसे का सबब बनेगी।

Post a Comment

Previous Post Next Post