नई दिल्ली। बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारियों के बीच निर्वाचन आयोग ने राज्य में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान शुरू कर दिया है। इस प्रक्रिया का उद्देश्य विदेशी अवैध प्रवासियों की पहचान कर उन्हें सूची से बाहर करना और वास्तविक पात्र मतदाताओं को सूची में सुनिश्चित करना है। हालांकि इस कदम को लेकर विपक्षी दलों ने आशंका जताई है कि कहीं यह कवायद राजनीतिक उद्देश्य से प्रेरित तो नहीं।
निर्वाचन आयोग का स्पष्ट संदेश – केवल भारतीय नागरिक ही बन सकते हैं मतदाता
निर्वाचन आयोग ने शनिवार को एक आधिकारिक बयान में दो टूक कहा, “भारत का संविधान सर्वोच्च है, और सभी नागरिक, राजनीतिक दल तथा आयोग को इसका पालन करना अनिवार्य है।” आयोग ने संविधान के अनुच्छेद 326 का हवाला देते हुए स्पष्ट किया कि केवल 18 वर्ष से अधिक उम्र के भारतीय नागरिक, जो किसी निर्वाचन क्षेत्र के स्थायी निवासी हैं, मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने के पात्र हैं।
विपक्ष ने जताई ‘राजनीतिक उद्देश्य’ की आशंका
विपक्षी दलों ने निर्वाचन आयोग की इस पहल पर सवाल उठाते हुए आशंका जताई है कि राज्य की मशीनरी का इस्तेमाल कर वोटर सूची से कुछ वर्गों को जानबूझकर बाहर किया जा सकता है। विपक्ष का आरोप है कि "मतदाता पुनरीक्षण के नाम पर भेदभाव और निष्पक्षता में सेंध की कोशिश हो रही है।"
बिहार से शुरू, छह राज्यों में चलेगा अभियान
बिहार से शुरू हुआ यह विशेष अभियान आगे चलकर असम, तमिलनाडु, केरल, पुडुचेरी और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में भी लागू किया जाएगा। इनमें से बिहार में 2025 में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं, जबकि बाकी राज्यों में चुनाव 2026 में होने हैं।
1 लाख स्वयंसेवक करेंगे मदद, 20 हजार नए बीएलओ तैनात
निर्वाचन आयोग ने जानकारी दी कि वर्तमान में राज्य में 78 हजार बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) कार्यरत हैं और 20 हजार नए बीएलओ की नियुक्ति की जा रही है। इसके अतिरिक्त 1 लाख स्वयंसेवकों को भी जोड़ा गया है, जो विशेष रूप से वृद्ध, दिव्यांग, बीमार, गरीब और वंचित वर्गों के मतदाताओं को सहायता प्रदान करेंगे।
हर मतदाता के घर पहुंचेगा गणना प्रपत्र
बिहार के 243 विधानसभा क्षेत्रों में कुल 7.89 करोड़ से अधिक पंजीकृत मतदाताओं के लिए गणना प्रपत्रों की छपाई और घर-घर जाकर वितरण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इनमें से लगभग 4.96 करोड़ मतदाता पहले से सूची में मौजूद हैं, जिन्हें केवल वास्तविकता सत्यापन के लिए फॉर्म भरना होगा।
राजनीतिक दलों की निगरानी भी सुनिश्चित
सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों ने 1.54 लाख से अधिक बीएलए (बूथ लेवल एजेंट) नियुक्त किए हैं जो पुनरीक्षण प्रक्रिया पर निगरानी रखेंगे। निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दलों से अपील की है कि वे इस प्रक्रिया को पारदर्शिता से पूर्ण करने में सहयोग दें और गैर-जरूरी भ्रम फैलाने से बचें।
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