🚢 होर्मुज जलडमरूमध्य का महत्व क्या है?
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यह फारस की खाड़ी को ओमान की खाड़ी और फिर अरब सागर से जोड़ता है।
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इसके ज़रिए हर दिन औसतन 2.1 करोड़ बैरल कच्चा तेल दुनिया के बाज़ारों में भेजा जाता है।
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सऊदी अरब, ईरान, इराक, कुवैत और यूएई जैसे देशों के लिए यह जीवनरेखा है।
🛑 क्या जलडमरूमध्य बंद होगा?
“जलडमरूमध्य को बंद करना एजेंडे में है। जब ज़रूरत पड़ी, तो यह कदम उठाया जाएगा।”
💹 तेल कीमतों में भारी उछाल
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13 जून को इज़राइल द्वारा ईरान पर हमले के बाद से ब्रेंट क्रूड की कीमतों में 10% से अधिक की वृद्धि।
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कच्चा तेल अब 77 डॉलर प्रति बैरल के पार।
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विश्लेषकों के अनुसार, अगर जलडमरूमध्य बंद होता है, तो तेल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर जा सकती हैं।
⚔️ क्या फिर लौटेगा 'टैंकर युद्ध' का दौर?
वर्तमान हालात 1980 के दशक के ईरान-इराक युद्ध की "टैंकर वॉर" जैसी स्थिति की याद दिलाते हैं, जब तेल टैंकरों पर हमले आम हो गए थे।
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1987 में अमेरिका ने ऑपरेशन अर्नेस्ट विल शुरू किया था।
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1988 में अमेरिका ने गलती से ईरान एयर फ्लाइट 655 गिरा दी थी, जिसमें 290 लोग मारे गए थे।
⛽ वैश्विक कंपनियों की चिंता
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डेनमार्क की शिपिंग कंपनी मैरस्क ने कहा है कि वह होर्मुज से गुजरने वाले जहाजों की सुरक्षा का मूल्यांकन कर रही है।
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चेवरॉन, बीपी, और सऊदी अरामको जैसी कंपनियां सतर्क मोड में हैं।
🌍 भारत पर संभावित असर
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भारत अपनी कुल तेल ज़रूरतों का 80% आयात करता है, जिसमें से एक बड़ा हिस्सा होर्मुज जलडमरूमध्य से आता है।
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बंद होने की स्थिति में भारत में पेट्रोल-डीजल महंगे हो सकते हैं और महंगाई बढ़ने का खतरा है।
क्या दुनिया फिर तेल संकट की ओर?
अगर होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद कर दिया गया, तो यह केवल पश्चिम एशिया नहीं, बल्कि पूरे विश्व की ऊर्जा सुरक्षा को हिला सकता है। भारत जैसे तेल आयातक देशों के लिए यह एक बड़ा आर्थिक झटका बन सकता है। वैश्विक शक्तियों की नजरें अब ईरान की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के अंतिम फैसले पर टिकी हैं।
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