अक्षर सत्ता डिजिटल, जबलपुर। 21 जून को पूरे विश्व में विश्व संगीत दिवस (World Music Day) मनाया जाता है। इस खास मौके पर जबलपुर की बेटी ईशिता विश्वकर्मा एक चमकते सितारे के रूप में नज़र आती हैं, जिनकी आवाज़ ने न केवल भारत में बल्कि दुनिया के कई देशों में लोगों को मंत्रमुग्ध किया है।
संस्कारधानी जबलपुर से अपने संगीत सफर की शुरुआत करने वाली ईशिता को "छोटी लता मंगेशकर" के नाम से जाना जाता है। उनके सुरों में स्वर कोकिला लता दीदी की तरह वही मधुरता, भाव और आत्मा बसती है। उन्होंने मंच पर लता जी के अमर गीतों को इस तरह जीवंत किया है कि श्रोता भावविभोर हो जाते हैं।
ईशिता का संगीत सफर केवल प्रतिभा का नहीं, बल्कि परिश्रम और संघर्ष का भी प्रतीक है। वर्ष 2019 में जी टीवी के लोकप्रिय रियलिटी शो 'सारेगामापा' की विजेता बनकर उन्होंने देशभर में प्रसिद्धि प्राप्त की। इसके बाद 2022 में इंडियाज गॉट टैलेंट में प्रथम रनर-अप रहकर उन्होंने अपने मुकाम को और ऊंचा किया।
बॉलीवुड में डेब्यू और वैश्विक पहचान
ईशिता ने 2023 में प्रसिद्ध गायक अरिजीत सिंह के साथ फिल्म ‘प्यार है तो है’ में अपनी आवाज़ दी और बॉलीवुड में प्लेबैक सिंगर के रूप में कदम रखा। लंदन, कनाडा, दुबई, रूस, नीदरलैंड्स और अफ्रीका जैसे देशों में उन्होंने लाइव परफॉर्मेंस देकर भारतीय संगीत का परचम लहराया।
सामाजिक सरोकारों में भी अग्रणी
सिर्फ संगीत ही नहीं, बल्कि सामाजिक कार्यों में भी ईशिता अग्रणी रही हैं। मध्य प्रदेश सरकार के लाड़ो अभियान की ब्रांड एंबेसडर बनने के साथ ही उन्होंने ISRO बेंगलुरु का दौरा किया और भारत के तत्कालीन उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू से सम्मान प्राप्त किया। उन्हें भारत सरकार द्वारा देश के 30 उत्कृष्ट छात्रों में से एक के रूप में ध्रुव तारा सम्मान भी प्राप्त हुआ।
मां का साथ और खुद की लगन बनी ताकत
ईशिता मानती हैं कि उनके सफर में कठिनाइयां कम नहीं थीं, लेकिन मां की प्रेरणा और भगवान की कृपा ने हर मोड़ पर उनका साथ दिया। आज वे मुंबई में एक स्थापित प्लेबैक सिंगर हैं और टी-सीरीज, ज़ी म्यूज़िक, सारेगामा जैसी प्रमुख म्यूज़िक कंपनियों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ी हैं।
ईशिता ने कई भक्ति संगीत प्रोजेक्ट्स में भी अपनी स्वर साधना की है, जो देशभर के श्रोताओं के बीच लोकप्रिय हो चुके हैं।
प्रेरणा बनीं नई पीढ़ी के लिए
इस विश्व संगीत दिवस पर ईशिता विश्वकर्मा न केवल युवाओं के लिए प्रेरणा हैं, बल्कि वे भारतीय संगीत परंपरा की सशक्त प्रतिनिधि के रूप में भी खड़ी हैं। उनकी कहानी यह सिद्ध करती है कि छोटे शहरों से भी बड़े सपने सच किए जा सकते हैं, यदि लगन, संघर्ष और स्वर का सच्चा समर्पण हो।

एक टिप्पणी भेजें