दस्तावेज़ों के रखरखाव पर सुप्रीम कोर्ट ने जारी किए नए दिशा-निर्देश, पारदर्शिता और जवाबदेही होगी सुदृढ़

प्रशासनिक रिकॉर्ड प्रबंधन में लाया जाएगा एकरूपता और दक्षता, मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई ने दिए स्पष्ट संकेत

नई दिल्ली, 26 जून 2025 | भारत के उच्चतम न्यायालय ने प्रशासनिक रिकॉर्ड प्रबंधन में पारदर्शिता, जवाबदेही और कार्यकुशलता लाने के लिए "रिकॉर्ड संरक्षण एवं नष्ट करने के दिशा-निर्देश 2025" जारी किए हैं। इस कदम को न्यायिक प्रक्रिया के प्रशासनिक पक्ष में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है।


📜 मुख्य न्यायाधीश ने जताई चिंता, दिशा-निर्देशों की आवश्यकता बताई

मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई ने अपने आधिकारिक संदेश में कहा कि सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में पिछले कुछ वर्षों में प्रशासनिक रिकॉर्ड की मात्रा और विविधता में तेजी से वृद्धि हुई है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि—

न्यायिक रिकॉर्ड को सुप्रीम कोर्ट रूल्स, 2013 और कार्यालय प्रक्रिया पुस्तिका, 2017 के तहत नियंत्रित किया जाता है, परंतु प्रशासनिक रिकॉर्ड के प्रबंधन में अब तक स्पष्ट और सुसंगत दिशानिर्देशों की कमी थी।

🗃️ क्या है "रिकॉर्ड संरक्षण एवं नष्ट करने के दिशा-निर्देश 2025"?

नए दिशा-निर्देशों का उद्देश्य न्यायालय की विभिन्न शाखाओं में प्रशासनिक दस्तावेज़ों के संग्रह, संरक्षण और व्यवस्थित नष्ट करने की प्रक्रिया को एकरूप बनाना है। इनमें शामिल हैं:

  • मुख्य न्यायाधीश और न्यायाधीशों द्वारा हस्ताक्षरित मूल सबमिशन नोट्स और पेपर बुक को स्थायी रूप से संरक्षित किया जाएगा।

  • नीतिगत फाइलें, कार्यालय आदेश और परिपत्र दस्तावेज भी स्थायी संग्रह में रहेंगे।

  • रिकॉर्ड की सुरक्षा अवधि संबंधित कार्यवाही के अंतिम निपटान के बाद से मानी जाएगी।

  • दस्तावेज़ नष्ट करने से पहले यह सुनिश्चित किया जाएगा कि उन पर कोई अदालती मामला लंबित न हो।

  • गर्मी की छुट्टियों या आंशिक न्यायालय कार्यदिवसों के दौरान रिकॉर्ड नष्ट करने की प्रक्रिया अपनाई जाएगी।

📁 वित्तीय रिकॉर्ड को लेकर क्या दिशा-निर्देश हैं?

  • वित्तीय और बजटीय दस्तावेज वित्तीय वर्ष (1 अप्रैल से 31 मार्च) के अनुसार वर्गीकृत होंगे।

  • अन्य सभी रजिस्टर एवं रिकॉर्ड कैलेंडर वर्ष (1 जनवरी से 31 दिसंबर) के अनुसार संकलित किए जाएंगे।

  • यदि किसी दस्तावेज़ को स्कैन किया गया है और उसे लंबे समय तक संरक्षित करना आवश्यक हो, तो रजिस्ट्रार इसका निर्णय ले सकेंगे।

🔍 जवाबदेही और पारदर्शिता पर विशेष जोर

मुख्य न्यायाधीश गवई ने कहा—

इन दिशा-निर्देशों से अभिलेखीय स्पष्टता, विभागीय तालमेल और नीति निर्माण में सहूलियत मिलेगी। साथ ही अदालतों की प्रशासनिक प्रक्रियाओं में जवाबदेही और पारदर्शिता का स्तर भी सुदृढ़ होगा।

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