क्या है मामला?
यह मामला 1 मई 2025 का है, जब भिंड जिले में पुलिसकर्मियों ने दो पत्रकारों के साथ कथित रूप से क्रूरता से मारपीट की। यह घटना जिला पुलिस अधीक्षक की निगरानी में हुई, जिसकी जानकारी दिल्ली प्रेस क्लब द्वारा जारी विज्ञप्ति में दी गई थी। आयोग ने इसी विज्ञप्ति का संज्ञान लेते हुए कार्रवाई शुरू की है।
मानवाधिकार उल्लंघन की संभावना
एनएचआरसी ने कहा है कि पत्रकारों पर इस प्रकार की हिंसा न केवल व्यक्तिगत मानवाधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि यह प्रेस की स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की आज़ादी पर भी हमला है। आयोग ने स्पष्ट किया है कि यदि ये आरोप सही पाए जाते हैं, तो यह संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों का गंभीर हनन होगा।
पुलिस महकमे पर सवाल
इस घटना के बाद एक बार फिर से मध्यप्रदेश पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं। पत्रकार संगठनों और नागरिक समाज ने इस कार्रवाई की तीव्र आलोचना की है और दोषी पुलिसकर्मियों पर तत्काल सख्त कार्रवाई की मांग की है।
क्या बोले पत्रकार संगठन?
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया और भिंड प्रेस क्लब ने इस घटना को लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर हमला बताया है। संगठनों का कहना है कि पत्रकारों को डराने और सच्चाई को दबाने के प्रयास अब आम होते जा रहे हैं, जो बेहद चिंताजनक है।
अब आगे क्या?
एनएचआरसी की इस पहल से उम्मीद है कि मामले की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच हो सकेगी और यदि पुलिस दोषी पाई जाती है, तो उपयुक्त दंडात्मक कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। पत्रकारों की सुरक्षा और स्वतंत्रता के लिए यह मामला एक मिसाल बन सकता है।
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