Mumbai Train Blast Case: सुप्रीम कोर्ट ने 2006 के मुंबई लोकल ट्रेन विस्फोट मामले में बंबई हाईकोर्ट द्वारा बरी किए गए सभी 12 आरोपियों की रिहाई पर रोक लगा दी है। यह रोक महाराष्ट्र सरकार द्वारा दायर उस अपील के तहत लगाई गई है, जिसमें हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी।
🧨 11 जुलाई 2006: मुंबई में दहशत की शाम
वर्ष 2006 में 11 जुलाई को मुंबई की पश्चिमी रेलवे लाइन पर चलने वाली लोकल ट्रेनों में सात जगहों पर सिलसिलेवार बम धमाके हुए थे। इन विस्फोटों में 180 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी और सैकड़ों घायल हुए थे। इस जघन्य हमले को भारत में अब तक की सबसे भीषण आतंकी घटनाओं में से एक माना जाता है।
⚖️ हाई कोर्ट ने क्यों किया था बरी?
22 जुलाई 2025 को बंबई हाई कोर्ट ने कहा था कि:
अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने में पूरी तरह विफल रहा है। गवाहों के बयान और बरामदगी का कोई वैधानिक मूल्य नहीं है।
न्यायमूर्ति अनिल किलोर और न्यायमूर्ति श्याम चांडक की पीठ ने कहा था कि:
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अभियोजन विस्फोटक सामग्री की पुष्टि और रिकॉर्डिंग में असफल रहा।
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महत्वपूर्ण गवाहों की पूछताछ नहीं की गई।
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बरामद बम बनाने के सर्किट बॉक्स और विस्फोटकों की सीलिंग और रखरखाव में खामियां रहीं।
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इकबालिया बयानों की वैधता संदिग्ध रही क्योंकि उन्हें कथित तौर पर यातना देकर लिया गया।
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पहचान परेड भी अस्वीकृत की गई, क्योंकि वह पुलिस द्वारा अनधिकृत रूप से कराई गई थी।
🧑⚖️ सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
आज, सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के इस फैसले पर रोक लगाते हुए कहा कि:
मामला राष्ट्र की सुरक्षा और न्यायिक व्यवस्था से जुड़ा है, इसलिए बरी किए गए आरोपियों को तुरंत रिहा नहीं किया जा सकता।
इसके साथ ही अदालत ने महाराष्ट्र सरकार की याचिका को स्वीकार करते हुए नोटिस जारी किया है और सभी संबंधित पक्षों को अगली सुनवाई में उपस्थित रहने को कहा है।
📌 अब क्या होगा?
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12 आरोपी अब तत्काल जेल से बाहर नहीं आ पाएंगे।
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अगली सुनवाई तक मामला सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में रहेगा।
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यदि सुप्रीम कोर्ट हाईकोर्ट के फैसले को खारिज करता है, तो फिर से ट्रायल की स्थिति उत्पन्न हो सकती है या पुरानी सजा बहाल की जा सकती है।
📊 केस का पिछला इतिहास
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2015 में विशेष अदालत ने 5 आरोपियों को मृत्युदंड और 7 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
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अभियोजन का दावा था कि ये सभी आरोपी आईएम (इंडियन मुजाहिदीन) या एलईटी (लश्कर-ए-तैयबा) से जुड़े थे।
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हाई कोर्ट ने इन सभी साक्ष्यों को अपर्याप्त और अविश्वसनीय करार दिया था।
- 📢 अक्षर सत्ता – आपके हक़ की आवाज़, आपके शहर से सीधे📞 समाचार, विज्ञापन या कवरेज के लिए संपर्क करें: 9424755191✍️ संपादक: दयाल चंद यादव (MCJ)
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