जबलपुर। दो वर्ष पूर्व जब महापौर जगत बहादुर सिंह “अन्नू” ने नगर निगम की पाँच जर्जर शैक्षणिक संस्थाओं के बच्चों को संरक्षण में लेकर महापौर गुरूकुल की नींव रखी, तब शायद ही किसी ने सोचा था कि यह पहल नगर निगम की शिक्षा व्यवस्था में क्रांतिकारी परिवर्तन की ध्वजा बन जाएगी। आज जब यह पहल अपने द्विवार्षिक पड़ाव पर पहुँच चुकी है, तो नगर निगम की शालाओं के छात्र-छात्राओं में न केवल शालीनता और शिष्टता का संचार हुआ है, अपितु उनके मानसिक विवेक और बौद्धिक चेतना में भी विस्फोटक प्रगति देखने को मिली है।
पत्रकारों से संवाद करते हुए महापौर “अन्नू” ने स्पष्ट किया कि महापौर गुरूकुल के अंतर्गत अब तक नगर निगम के पाँच विद्यालयों के 2000 से अधिक विद्यार्थी बिना किसी शुल्क के गहन शैक्षणिक प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं। इस नवाचार के फलस्वरूप बोर्ड परीक्षाओं में उनकी सफलता दर में गुणात्मक उछाल आया है। इस वर्ष कक्षा 10वीं व 12वीं के 17 विद्यार्थियों ने 85% से अधिक अंक अर्जित कर अपनी प्रतिभा का परचम लहराया, जिन्हें महापौर गुरूकुल के विशेष उपहारस्वरूप हवाई यात्रा का अवसर प्रदान किया जाएगा।
महापौर ने यह भी अवगत कराया कि इन विद्यार्थियों को केवल अकादमिक कोचिंग ही नहीं दी जा रही है, बल्कि ग्रीष्मकालीन शिविरों के माध्यम से नृत्य, संगीत, चित्रकला तथा विविध सांस्कृतिक विधाओं में प्रशिक्षित किया जा रहा है। साथ ही, योग अभ्यास को भी शिक्षा की धारा में समाहित किया गया है, जिससे विद्यार्थी तन-मन दोनों स्तरों पर सशक्त बन सकें।
“अन्नू” ने बताया कि परीक्षाओं से पूर्व मेकलसुता इंस्टीट्यूट के शिक्षक इन बच्चों को व्यवस्थित ढंग से मार्गदर्शन देते हैं, जिससे उनकी ज्ञानात्मक क्षमता में असाधारण निखार आ रहा है। यही नहीं, प्रत्येक वर्ष 2000 से अधिक विद्यार्थियों के लिए देशभक्ति पर आधारित चलचित्र प्रदर्शन, स्वादिष्ट भोजन, और बौद्धिक प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है, जिससे उनके नैतिक व चारित्रिक गठन में सुदृढ़ता आती है।
नगर निगम के इन विद्यालयों में अब वह सभी सुविधाएँ उपलब्ध कराई जा रही हैं, जो प्राइवेट कान्वेंट स्कूलों में होती हैं – चाहे वह शिक्षण सामग्री हो, तकनीकी साधन हों या विशेष सत्र। यह समूचा नवाचार मेकलसुता इंस्टीट्यूट के कुशल नेतृत्व व शिक्षकों की निष्ठा तथा महापौर “अन्नू” की सतत निगरानी का परिणाम है।
महापौर ने यह भी कहा कि महापौर गुरूकुल के विद्यार्थी अब केवल पुस्तकीय ज्ञान तक सीमित नहीं हैं, बल्कि उनमें राष्ट्रभक्ति का ज्वार भी उमड़ रहा है। उनमें भारत माता के प्रति त्याग और समर्पण की भावना प्रबल हो चुकी है। उन्होंने कहा कि शिक्षा अब केवल अंकों का खेल नहीं रह गई है, बल्कि यह राष्ट्र निर्माण की नींव बन चुकी है।
पत्रकारवार्ता के अवसर पर नगर निगम के अध्यक्ष रिकुंज विज, एम.आई.सी. डॉ. सुभाष तिवारी, विवेकराम सोनकर, दामोदर सोनी, श्रीमती रजनी कैलाश साहू, श्रीमती अंशुल राघवेन्द्र यादव, पूर्व खेल अधिकारी व शिक्षा अधिकारी डॉ. राकेश तिवारी, प्राचार्य डॉ. शैलेन्द्र पाण्डेय, विजय श्रीवास्तव, राकेश जैन, श्रीमती दीप्ति शर्मा, श्रीमती रागिनी गर्ग, श्रीमती कृति परोहा तथा मेकलसुता इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर जयदीप मिश्रा सहित अनेक गणमान्य उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन विद्यालय प्राचार्य डॉ. शैलेन्द्र पांडेय एवं विजय श्रीवास्तव ने किया और पाँचों विद्यालयों से विद्यार्थियों को वर्चुअल संवाद के माध्यम से महापौर “अन्नू” से सीधे जोड़ा गया।
इस संपूर्ण उपक्रम ने नगर निगम की शालाओं को एक नूतन दिशा दी है — एक ऐसी दिशा जहाँ शिक्षा केवल पठन-पाठन नहीं, बल्कि समग्र व्यक्तित्व निर्माण का नाम है।
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