सालीवाडा स्कूल की दुर्दशा से ग्रामीणों में आक्रोश की लहर

ग्राम विकास संगठन की महिला इकाई ने स्कूल का अचानक किया निरीक्षण, उजागर हुईं गंभीर खामियाँ

बरगी नगर, जबलपुर, 13 जुलाई 2025 । ग्रामीण इलाकों में संचालित शासकीय विद्यालयों की दशा तो पहले से ही सवालों के घेरे में रहती है, किंतु जब उपलब्ध सीमित संसाधनों का भी दुरुपयोग और लापरवाही से संचालन किया जाए, तो स्थिति और भी दयनीय हो जाती है। कुछ ऐसा ही दृश्य तुनिया पंचायत के अधीन ग्राम सालीवाडा के माध्यमिक विद्यालय में सामने आया है, जहां की व्यवस्था पर गंभीर प्रश्नचिन्ह लग गए हैं।

ग्राम विकास संगठन की महिला सदस्यों ने स्कूल का औचक निरीक्षण कर शैक्षणिक और आधारभूत व्यवस्थाओं में गहराई तक फैली अव्यवस्थाओं का पर्दाफाश किया। ग्रामीणों का आरोप है कि विद्यालय में पदस्थ शिक्षक अधिकांश समय मोबाइल में व्यस्त रहते हैं और विद्यार्थियों की पढ़ाई से लगभग विमुख हैं। छात्रों की संख्या पहले से ही सीमित है, और उस पर शिक्षकों का देर से आना तथा समय से पहले विद्यालय छोड़ देना – यह रवैया लंबे समय से जारी है, जिससे ग्रामीण समाज में व्यापक असंतोष व्याप्त हो चुका है।

खंडहर में तब्दील रसोईघर, भोजन की गुणवत्ता पर सवाल
विद्यालय की रसोई व्यवस्था बदहाली की चरम सीमा पर है। जहां बच्चों के लिए मध्याह्न भोजन तैयार किया जाता है, वह रसोई भवन अब एक जर्जर ढांचे में तब्दील हो चुका है। दीवारों से सीपेज बह रही है, छत से पानी टपकता है और चारों ओर गंदगी का साम्राज्य फैला है। इस अमानवीय परिस्थिति में बच्चों के भोजन की तैयारी गंभीर चिंता का विषय है। पालकों ने भोजन की गुणवत्ता पर भी सवाल उठाते हुए कहा है कि तेल, मसाले और सब्जियाँ न केवल बेहद सीमित मात्रा में डाली जाती हैं, बल्कि मेन्यू के अनुरूप भी खाना नहीं दिया जाता।

शिक्षकों की अनुपलब्धता से पठन-पाठन पर संकट
विद्यालय में नियुक्त प्रभारी शिक्षक सुधीर ठाकुर ने स्पष्ट किया कि यह विद्यालय विगत वर्षों से स्थायी शिक्षकों के अभाव से जूझ रहा है। इस सत्र में पहली बार एक अतिथि शिक्षक की नियुक्ति की गई है, जबकि उन्हें स्वयं अन्य शालाओं का भी अतिरिक्त प्रभार मिला हुआ है। ठाकुर का कहना है कि ऑनलाइन कार्यों और संकुल केंद्र की नियमित भागीदारी के चलते कभी-कभी वे स्कूल परिसर से बाहर रहते हैं, जिससे ग्रामीणों को गलतफहमी हो सकती है।

उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि विद्यालय की वर्तमान स्थिति संतोषजनक नहीं है, किंतु वे प्रयासरत हैं कि बच्चों को मध्याह्न भोजन समय पर और गुणवत्ता सहित मिले तथा पठन-पाठन संबंधी गतिविधियों को पुनः सुचारु किया जाए।

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