यह मार्ग पांढरीपाठ दरबार के लिए प्रमुख पहुंच मार्ग है, जहां सावन मास में प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। मगर अब बारिश के चलते यह कच्चा मार्ग कीचड़ और गड्ढों में तब्दील हो गया है। वाहन फंस रहे हैं, बच्चे स्कूल जाते समय गंदे हो रहे हैं, और श्रद्धालु दरबार पहुंचने में असमर्थ हो रहे हैं।
ठेकेदार ने आधे रास्ते पर ही रोक दिया काम
स्थानीय जानकारी के अनुसार, इस निर्माण कार्य का ठेका ओम कंस्ट्रक्शन कंपनी को दिया गया था, जिसे रवि ठाकरे संचालित करते हैं। लेकिन कंपनी ने महज आधा किलोमीटर तक मुरुम बिछाकर काम अधूरा छोड़ दिया। न तो निर्माण पूर्ण हुआ और न ही गुणवत्ता की जांच, जिससे ग्रामीणों में भारी आक्रोश है।
दुकानदारों की आजीविका पर भी संकट
मंदिर के समीप लगे फुटकर दुकानदार भी परेशान हैं। सावन में जहाँ व्यापार अच्छा होता था, वहीं अब श्रद्धालु कीचड़ से बचने के लिए मंदिर आना ही छोड़ रहे हैं। "बोहनी तक नहीं हो रही, व्यापार पूरी तरह ठप है," यह कहना है स्थानीय दुकानदारों का। उनका आरोप है कि "ठेका तो करोड़ों में लिया गया, लेकिन काम कौड़ी भर का भी नहीं हुआ।"
विभाग का कोई जिम्मेदार नहीं, सूचना बोर्ड भी गायब
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस निर्माण कार्य का न तो कोई सूचना बोर्ड लगा है, न ही यह स्पष्ट है कि यह कार्य किस विभाग के अंतर्गत आता है। जब पीडब्ल्यूडी विभाग से जानकारी ली गई तो SDO ने कहा कि "यह मार्ग हमारे विभाग से स्वीकृत ही नहीं है।" ऐसे में सवाल यह उठता है कि 1.80 करोड़ की योजना का जिम्मेदार कौन है?
जनता की मांग: हो उच्च स्तरीय जांच और पुनः शुरू हो निर्माण
ग्रामीणों की स्पष्ट मांग है कि इस अधूरे कार्य की जांच की जाए, जिम्मेदार ठेकेदार और अधिकारियों पर कार्रवाई हो तथा निर्माण कार्य शीघ्र पुनः प्रारंभ किया जाए। साथ ही मांग की जा रही है कि मार्ग पर ड्रेनेज की उचित व्यवस्था और उच्च गुणवत्ता वाली सड़क निर्माण सुनिश्चित हो ताकि भविष्य में इस तरह की समस्या न हो।
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