रायपुर, 30 जुलाई 2025।
दुर्ग में दो ननों की गिरफ्तारी के मामले ने राज्य में राजनीतिक तापमान बढ़ा दिया है। मानव तस्करी और धर्मांतरण के आरोपों में गिरफ्तार इन कैथोलिक ननों की जमानत याचिकाएं निचली अदालत और सेशन कोर्ट दोनों स्तरों पर खारिज कर दी गई हैं। अब यह मामला राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की अदालत के क्षेत्राधिकार में चला गया है।
इस बीच सीपीआई (एम) की वरिष्ठ नेता वृंदा करात ने दुर्ग में एक प्रेस वार्ता में इस गिरफ्तारी को "अलोकतांत्रिक" और "धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों का उल्लंघन" बताया। उन्होंने सवाल किया कि बिना पुख्ता सबूत के गिरफ्तारी कैसे की गई? साथ ही, केंद्र और राज्य सरकार की चुप्पी को उन्होंने 'संवेदनहीनता' का प्रतीक बताया और मामले की न्यायिक जांच की मांग उठाई।
🔥 संसद में भी गूंजा मुद्दा
नई दिल्ली: केरल की ननों और छत्तीसगढ़ के एक आदिवासी व्यक्ति की गिरफ्तारी के विरोध में विपक्षी सांसदों ने आज संसद परिसर में प्रदर्शन किया। इस विरोध प्रदर्शन में प्रियंका गांधी वाड्रा सहित कई प्रमुख नेता शामिल हुए। विपक्ष ने इसे धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों पर सीधा हमला बताया।
🚨 बजरंग दल का पक्ष
बजरंग दल ने इस कार्रवाई को सही ठहराते हुए कहा कि "ननों की गतिविधियाँ संदिग्ध थीं और स्थानीय ग्रामीणों की शिकायत पर ही कार्रवाई हुई।" संगठन का दावा है कि धार्मिक परिवर्तन और मानव तस्करी जैसे गंभीर आरोपों की जांच करना ज़रूरी है और यही कानून का पालन है।
⚖️ कानूनी पहलू
सेशन कोर्ट के न्यायाधीश अनीश दुबे ने सुनवाई के दौरान कहा कि “यह मामला अब NIA के न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में आता है, क्योंकि इसमें संगठित मानव तस्करी के आरोप हैं।” ननों को दुर्ग केंद्रीय जेल में न्यायिक हिरासत में रखा गया है और अब अगली सुनवाई विशेष अदालत में होगी।

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