🏚️ टूटा मकान, टूटी उम्मीदें: बरसात में पनाह की जद्दोजहद
कृष्णा बाई बरकड़े, जो अपने पति और तीन बच्चों समेत पाँच लोगों के परिवार का पालन-पोषण कर रही हैं, अब बरसात के इन दिनों में एक अस्थायी झोपड़ी में रहने को मजबूर हैं। उनका कहना है कि रोजगार सहायक भीकम मरावी ने उन्हें झांसा दिया कि प्रधानमंत्री आवास योजना में उन्हें मकान स्वीकृत हो गया है और जल्द ही पहली किस्त खाते में आएगी। इस आश्वासन के आधार पर उन्होंने अपना पक्का मकान तोड़ दिया, परंतु आज तक ना कोई राशि मिली, ना ही मकान निर्माण की कोई पहल शुरू हुई।
💰 ₹5000 की ठगी: ‘काम जल्दी होगा’ कहकर लिया पैसा
कृष्णा बाई के पति प्रकाश बरकड़े ने बताया कि ग्राम रोजगार सहायक ने मकान निर्माण का काम जल्दी कराने के नाम पर उनसे ₹5000 नकद ले लिए। लेकिन अब वह फोन तक उठाना बंद कर चुका है। प्रकाश बरकड़े का कहना है,
हम बेहद परेशान हैं, एक तरफ बरसात की मार और दूसरी तरफ शासन की अनदेखी। अब न तो मकान है और न ही कोई उम्मीद। हमें ठगा गया है।
🔎 सरपंच बोले: “कार्यवाही करेंगे”, सहायक ने दी सफाई
जब यह मामला मीडिया के जरिए सामने आया, तो ग्राम सरपंच इंदर सिंह तिलकाम ने संज्ञान लेते हुए कहा:
मुझे इस मामले की जानकारी मिली है। यह अत्यंत गलत है और हम इस पर उचित कार्यवाही करेंगे।
वहीं, दूसरी ओर ग्राम रोजगार सहायक भीकम मरावी ने सभी आरोपों से पल्ला झाड़ते हुए कहा:
हितग्राही ने स्वयं ही अपना मकान तोड़वाया है। मैंने उसका नाम प्रधानमंत्री आवास सूची में जोड़ दिया है।
📌 सवाल जो शासन से पूछे जाने चाहिए:
- सात महीने बीत जाने के बाद भी हितग्राही को राशि क्यों नहीं मिली?
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नकद ₹5000 किस नियम के तहत लिए गए?
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आवास सूची में नाम होने के बावजूद निर्माण कार्य शुरू क्यों नहीं हुआ?
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जिम्मेदारों पर कार्रवाई कब?
गरीबों के लिए चलाई जा रही महत्वाकांक्षी योजनाएं तब तक सिर्फ कागजों तक सीमित रहेंगी, जब तक उन्हें जमीन पर ईमानदारी से क्रियान्वित नहीं किया जाएगा। कृष्णा बाई बरकड़े जैसी महिलाएं इस बात की जीती-जागती मिसाल हैं कि कैसे गरीबों को उनके ही आशियाने से वंचित किया जा रहा है — वो भी उनके नाम पर चल रही योजना के नाम पर!
सरकार को चाहिए कि इस मामले में तुरंत जांच कर दोषियों पर कठोर कार्यवाही करे, ताकि प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी योजनाओं पर लोगों का विश्वास बना रह सके।
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- संपादक दयाल चंद यादव (एमसीजे)
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