📍 जबलपुर | विशेष संवाददाता | मध्यप्रदेश में हालिया तेज बारिश ने राज्य की जलवायु स्थिरता को गंभीर चुनौती दी है। बरगी बांध विस्थापित एवं प्रभावित संघ के राज कुमार सिन्हा ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि प्रदेश में वर्षा की तीव्रता और आवृत्ति में विगत वर्षों से अप्रत्याशित वृद्धि देखी जा रही है, जो जलवायु परिवर्तन का स्पष्ट संकेत है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में हो रही मूसलधार बारिश और असामान्य तापमान ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। नदियों का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर चुका है। नर्मदा नदी उफान पर है, जबकि बरगी और तवा डैम से छोड़े जा रहे पानी ने निचले क्षेत्रों में बाढ़ की आशंका बढ़ा दी है। इसके अलावा कई सड़कें और रास्ते जलभराव के कारण बंद हो चुके हैं, जिससे यातायात ठप हो गया है।
राज कुमार सिन्हा का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के चलते मौसम का स्वरूप अब अस्थिर हो गया है। पृथ्वी का बढ़ता तापमान वातावरण में अधिक नमी खींचता है, जिससे तीव्र और दीर्घकालिक बारिश की संभावना बढ़ जाती है। उन्होंने कहा, “गर्म हवा अधिक नमी सोखती है, और जब यह नमी कम वायुमंडलीय दबाव के क्षेत्रों में संघनित होती है, तो भारी वर्षा की स्थिति उत्पन्न होती है।”
राज्य के शहरी क्षेत्रों में बाढ़ के साथ-साथ भूस्खलन की संभावना भी बढ़ गई है, जिससे जान-माल की सुरक्षा पर खतरा मंडरा रहा है।
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भारी वर्षा की निगरानी और पूर्वानुमान प्रणाली का सुदृढ़ीकरण
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बाढ़ और भूस्खलन के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान
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खेती योग्य भूमि और फसलों की सुरक्षा के उपाय
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शहरी जल निकासी व्यवस्था का आधुनिकीकरण
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स्थानीय समुदायों को आपदा प्रबंधन में प्रशिक्षण
👉 जलवायु के इस बदलते स्वरूप से निपटने के लिए केवल चेतावनी नहीं, बल्कि ठोस कार्यनीति और क्रियान्वयन की आवश्यकता है।
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