शरद पवार का सनसनीखेज दावा: 2024 महाराष्ट्र चुनाव से पहले 2 लोगों ने दी थी 160 सीटों पर जीत की गारंटी

 राहुल गांधी के ‘वोट चोरी’ आरोपों की जांच की मांग

नागपुर | 9 अगस्त 2025। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के अध्यक्ष शरद पवार ने एक सनसनीखेज खुलासा करते हुए महाराष्ट्र की सियासत में हलचल मचा दी है। उन्होंने दावा किया कि 2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले नई दिल्ली में दो व्यक्तियों ने उनसे मुलाकात की और 288 में से 160 निर्वाचन क्षेत्रों में विपक्ष की जीत की "गारंटी" दी थी। पवार ने कहा कि उन्होंने इन व्यक्तियों को कांग्रेस नेता राहुल गांधी से मिलवाया, लेकिन गांधी ने इस प्रस्ताव को नजरअंदाज कर दिया, यह कहते हुए कि विपक्ष को ऐसे मामलों में नहीं पड़ना चाहिए। इस खुलासे ने महाराष्ट्र की राजनीति में नई बहस छेड़ दी है।

 


इसके साथ ही, पवार ने राहुल गांधी के ‘वोट चोरी’ के आरोपों का समर्थन करते हुए निर्वाचन आयोग से इसकी विस्तृत जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि गांधी ने कर्नाटक के एक निर्वाचन क्षेत्र में पिछले साल मतदाता सूची के विश्लेषण के आधार पर भाजपा और निर्वाचन आयोग के बीच "मिलीभगत" के जरिए "बड़े पैमाने पर आपराधिक धोखाधड़ी" का आरोप लगाया था। पवार ने जोर देकर कहा कि गांधी की प्रस्तुति शोध और दस्तावेजीकरण पर आधारित थी, और इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

पवार ने निर्वाचन आयोग की स्वतंत्रता पर सवाल उठाते हुए कहा, "चूंकि निर्वाचन आयोग एक स्वतंत्र संस्था है, उसे राहुल गांधी से अलग से हलफनामा मांगने की आवश्यकता नहीं थी। गांधी ने संसद में भी यही मुद्दा उठाया था।" उन्होंने आगे कहा कि वोट चोरी के आरोपों की गहन जांच से ही सच्चाई सामने आएगी। "दूध का दूध और पानी का पानी होना चाहिए। अगर हमारे दावों में सच्चाई नहीं है, तो निर्वाचन आयोग को स्पष्ट रूप से कहना चाहिए।"

राहुल गांधी ने हाल ही में दावा किया था कि कम से कम तीन राज्यों में "वोट चोरी" हुई, और यह लोकतंत्र के लिए "परमाणु बम" के समान है। इसके जवाब में कर्नाटक और महाराष्ट्र के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों ने गांधी से उन मतदाताओं के नाम साझा करने और हस्ताक्षरित घोषणापत्र देने को कहा, जिन्हें वे मतदाता सूची में "गलत" मानते हैं। पवार ने इस मांग पर सवाल उठाते हुए कहा कि निर्वाचन आयोग को बिना देरी के जांच शुरू करनी चाहिए ताकि चुनावी प्रक्रिया की शुचिता और आयोग की विश्वसनीयता पर उठे संदेह दूर हो सकें।

पवार के इस बयान और खुलासे ने न केवल महाराष्ट्र बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी सियासी माहौल को गर्म कर दिया है। यह मामला निर्वाचन आयोग की कार्यप्रणाली और लोकतांत्रिक प्रक्रिया की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।

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