कार्यक्रम का शुभारंभ
कार्यक्रम का शुभारंभ प्राचार्य प्रो. आर.आर. सोनवाने ने मां सरस्वती और भगवान श्रीकृष्ण के छायाचित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन और श्रीकृष्ण वंदना के साथ किया। इस अवसर पर महाविद्यालय के समस्त शिक्षक, कर्मचारी और छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
मुख्य वक्ता और उद्बोधन
मुख्य वक्ता श्री आर.आर. टिकेश्वर ने भगवान श्रीकृष्ण के जीवन और उनके कर्मयोगी स्वरूप पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण का आदर्श जीवन हमें धर्म और कर्म के पथ पर चलने की प्रेरणा देता है।
प्रो. सुरेन्द्र कुमार चिखले (समाजशास्त्र विभाग) ने अपने उद्बोधन में कहा, “श्रीकृष्ण का जीवन हमें धर्म, नीति और कर्मयोग का संदेश देता है।” उन्होंने आश्रम व्यवस्था पर जोर देते हुए बताया कि भगवान श्रीकृष्ण ने इसका पालन कर जीवन को सफल बनाया।
डॉ. गौतमा कठाने (अर्थशास्त्र विभाग) ने श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता का उदाहरण देते हुए कहा, “मित्रता ऐसी होनी चाहिए जो उच्च पद प्राप्त करने के बाद भी अपने दीन-हीन मित्र को न भूले।”
प्राचार्य का संबोधन
महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. आर.आर. सोनवाने ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा, “ऐसे पर्व सांस्कृतिक चेतना और भारतीय परंपरा को जीवित रखने में सहायक होते हैं। श्रीकृष्ण का जीवन गीता के उपदेशों के माध्यम से हमें सत्य, धर्म और कर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। युवा पीढ़ी को उनके आदर्शों से प्रेरणा लेनी चाहिए।” उन्होंने उच्च शिक्षा विभाग की भारतीय ज्ञान परंपरा के तहत इस आयोजन को विद्यार्थियों के लिए शिक्षाप्रद बताया।
मंच संचालन और सहयोग
कार्यक्रम का कुशल मंच संचालन डॉ. डालेश कुमार विजयवार ने किया। आयोजन को सफल बनाने में नितेश मेश्राम, डॉ. ललित कामड़े, डॉ. बाऊ गोखले, श्री शशांक पटले, ज्ञानदेव कुशले, जया कचवाहे, अंजली सोनी, लखनलाल बाहे, भागवत रघुवंशी, राहुल पारधी, हितेश बंसोड़, खेलन बाई, गीता बाई, समस्त स्टाफ और छात्र-छात्राओं का विशेष सहयोग रहा।
समापन और धन्यवाद
कार्यक्रम के अंत में डॉ. डालेश कुमार विजयवार ने सभी का धन्यवाद ज्ञापन किया। इस आयोजन ने न केवल धार्मिक उत्साह को बढ़ाया, बल्कि भारतीय संस्कृति और नैतिक मूल्यों को भी प्रचारित किया।
शासकीय महाविद्यालय, लांजी में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का यह आयोजन भारतीय ज्ञान परंपरा को जीवंत करने का एक शानदार प्रयास था। यह कार्यक्रम छात्रों को सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मूल्यों से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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