लांजी, बालाघाट: कांवड़ियों ने माँ नर्मदा के पवित्र जल से किया कोटेश्वर महादेव का जलाभिषेक

लांजी, बालाघाट, 4 अगस्त 2025 – सावन मास के पावन अवसर पर दादा कोटेश्वर जनकल्याण सेवा समिति और माँ नर्मदा कावड़ यात्रा सेवा समिति, लांजी के तत्वावधान में 76 कांवड़ियों ने माँ नर्मदा नदी से पवित्र जल लेकर 184 किलोमीटर की कठिन पदयात्रा पूरी की और लांजी के सुप्रसिद्ध कोटेश्वर धाम में भगवान शिव का जलाभिषेक किया। यह आयोजन श्रावण मास के अंतिम सोमवार, 4 अगस्त को संपन्न हुआ।

भव्य स्वागत के साथ धर्मनगरी में कांवड़ियों का आगमन

माँ नर्मदा कावड़ यात्रा समिति के कांवड़ियों ने 28 जुलाई को सावन के तीसरे सोमवार को पंडित मिथलेश रम्मू मिश्रा के नेतृत्व में माँ लंजकाई मंदिर में हवन-पूजन के साथ अपनी यात्रा शुरू की थी। यह यात्रा वाहनों के माध्यम से मंडला तक पहुंची, जहां कांवड़ियों ने माँ नर्मदा नदी की पूजा-अर्चना कर अपने कमंडलों में पवित्र जल भरा। इसके बाद, 184 किलोमीटर की पदयात्रा कर कांवड़िए लांजी पहुंचे।

लांजी पहुंचने पर कांवड़ियों का धर्मनगरी में भव्य स्वागत किया गया। ग्राम दुलापुर में रहमतकर आरा मिल के सामने, लांजी में भवानी किरनापुरे के निवास के सामने, हाऊबाग, बस स्टैंड, और मेन रोड पर स्थानीय लोगों ने फूल-मालाओं और उत्साह के साथ कांवड़ियों का स्वागत किया। भगवान शिव को डोले में विराजित कर और भव्य त्रिशूल के साथ कांवड़ियों की यह यात्रा श्रद्धा और भक्ति का अनुपम संगम बन गई।

सावन मास और कोटेश्वर महादेव का महत्व

श्रावण मास में कांवड़ यात्रा का विशेष धार्मिक महत्व है। इस दौरान कांवड़िए पवित्र नदियों और जल स्रोतों से जल लेकर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। लांजी के कोटेश्वर धाम में विराजमान कोटेश्वर महादेव का जलाभिषेक भी भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। पिछले 23 वर्षों से माँ नर्मदा कावड़ यात्रा समिति द्वारा श्रावण मास के अंतिम सोमवार को माँ नर्मदा के पवित्र जल से कोटेश्वर महादेव का जलाभिषेक किया जा रहा है। इस परंपरा ने न केवल स्थानीय श्रद्धालुओं को जोड़ा है, बल्कि क्षेत्र में धार्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा दिया है।

कांवड़ यात्रा का आयोजन

दादा कोटेश्वर जनकल्याण सेवा समिति और माँ नर्मदा कावड़ यात्रा समिति ने इस वर्ष भी यात्रा को भव्य और व्यवस्थित रूप से आयोजित किया। समिति के 76 कांवड़ियों ने कठिन परिस्थितियों में भी अपनी श्रद्धा और समर्पण को बनाए रखा। सावन मास के दौरान कोटेश्वर धाम में हजारों भक्त भगवान शिव के दर्शन और जलाभिषेक के लिए उमड़ते हैं, जिससे यह स्थल आध्यात्मिक केंद्र के रूप में और अधिक प्रसिद्ध हो रहा है।

सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव

कांवड़ यात्रा न केवल धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह सामाजिक एकता और सांस्कृतिक परंपराओं को भी मजबूत करता है। लांजी और आसपास के क्षेत्रों में इस यात्रा ने स्थानीय समुदाय को एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। स्थानीय लोग कांवड़ियों के लिए भोजन, पानी, और अन्य सुविधाएं प्रदान करते हैं, जो सामुदायिक सहयोग का प्रतीक है।

भविष्य की योजनाएं

माँ नर्मदा कावड़ यात्रा समिति ने भविष्य में इस आयोजन को और भव्य बनाने की योजना बनाई है। समिति के सदस्यों का कहना है कि वे अधिक से अधिक भक्तों को इस पवित्र यात्रा से जोड़ना चाहते हैं और कोटेश्वर धाम को राष्ट्रीय स्तर पर एक प्रमुख तीर्थ स्थल के रूप में स्थापित करना चाहते हैं।

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✍️ संपादक: दयाल चंद यादव (MCJ)
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