बालाघाट: ग्राम पंचायत बिसोनी में गुणवत्ताहीन कुर्सियों की खरीद में लाखों का भ्रष्टाचार, सरपंच पर गंभीर आरोप

लांजी, बालाघाट, 31 अगस्त 2025 - जनपद पंचायत लांजी के अंतर्गत ग्राम पंचायत बिसोनी में भ्रष्टाचार का एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि सरपंच श्रीमती वर्षा विजय वारे और सचिव नीलेश्वर मोरघड़े ने 5वें वित्त आयोग के तहत खरीदी गई 50 से अधिक कुर्सियों में जमकर हेरफेर किया है। ये कुर्सियां न केवल गुणवत्ताहीन हैं, बल्कि इन्हें चंद्रपुर से खरीदा गया और फर्जी बिलों के जरिए लाखों रुपये का गबन किया गया। यह मामला ग्रामीणों के लिए गंभीर चिंता का विषय है, क्योंकि यह उनके करों के पैसे का दुरुपयोग है।


चंद्रपुर से खरीदी गईं कुर्सियां, नियमों का उल्लंघन

जानकारी के अनुसार, ग्रामीणों के लिए बैठने हेतु खरीदी गईं ये कुर्सियां स्थानीय स्तर पर नहीं, बल्कि चंद्रपुर से मंगाई गईं। इन कुर्सियों की गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं। इतना ही नहीं, कुर्सियों पर “सरपंच के सौजन्य से” लिखवाया गया, जो पंचायत नियमों के खिलाफ है। ग्रामीणों का कहना है कि सरपंच और सचिव ने पहले भी फर्जी बिलों के जरिए राशि का हेरफेर किया है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों के ध्यान न देने से उनके हौसले बुलंद हैं। ग्रामीणों ने इस मामले की उच्च स्तरीय जांच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।

उपसरपंच ने भी जताई नाराजगी

उपसरपंच पवन कश्यप ने इस मामले में हैरानी जताई। उन्होंने बताया कि ग्राम सभा में कुर्सियां लगाने का प्रस्ताव तो पारित हुआ था, लेकिन खरीदी की प्रक्रिया में उन्हें अंधेरे में रखा गया। उन्हें फोन पर सूचना मिलने के बाद कुर्सियों का निरीक्षण करने पर वे गुणवत्ताहीन पाई गईं।

सीईओ का बयान

जनपद पंचायत लांजी के सीईओ रामगोपाल यादव ने कहा, “मामला संज्ञान में लिया गया है। सचिव से जवाब मांगा जाएगा और दोषी पाए जाने पर सख्त कार्रवाई होगी।”

ग्रामीणों की मांग: पारदर्शी जांच और कार्रवाई

यह मामला ग्राम पंचायतों में भ्रष्टाचार और पारदर्शिता की कमी का गंभीर उदाहरण है। ग्रामीणों ने मांग की है कि जिला कलेक्टर या मध्यप्रदेश भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो इस मामले की जांच करे। विशेषज्ञों का कहना है कि पंचायत राज अधिनियम के तहत ग्राम सभा में खर्चों की पारदर्शी समीक्षा होनी चाहिए, लेकिन इसका पालन नहीं हो रहा।

भ्रष्टाचार रोकने के लिए सुझाव

  • पारदर्शी खरीद प्रक्रिया: पंचायत खरीद में स्थानीय विक्रेताओं को प्राथमिकता दी जाए।

  • ग्राम सभा की सक्रियता: ग्रामीणों को खर्चों की नियमित समीक्षा में शामिल किया जाए।

  • कठोर जवाबदेही: फर्जी बिलों और गुणवत्ताहीन सामग्री के लिए सख्त सजा का प्रावधान हो।

यह घटना बालाघाट जिले में पंचायत स्तर पर वित्तीय अनियमितताओं की गहरी समस्या को उजागर करती है। ग्रामीण विकास के लिए आवंटित राशि का दुरुपयोग न केवल स्थानीय समुदाय के विश्वास को तोड़ता है, बल्कि विकास कार्यों को भी बाधित करता है।

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