मध्य प्रदेश में किसानों पर खाद संकट का साया: कालाबाजारी और महंगी खाद से परेशान, कांग्रेस ने सरकार पर साधा निशा

जबलपुर, 6 अगस्त 2025। मध्य प्रदेश में खाद का गंभीर संकट किसानों के लिए मुसीबत बन गया है। मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश उपाध्यक्ष (ओबीसी विभाग) और पूर्व प्रदेश प्रवक्ता टीकाराम कोष्टा ने बताया कि पूरे प्रदेश में डीएपी, यूरिया, और नैनो खाद की भारी कमी है। सरकारी सेंटरों और गोदामों में खाद उपलब्ध नहीं है, जबकि निजी दुकानों पर यह खाद मनमाने और ऊंचे दामों पर बेची जा रही है। कालाबाजारी और जमाखोरी के कारण किसानों को मजबूरन महंगी खाद खरीदनी पड़ रही है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति पर बुरा असर पड़ रहा है।


किसानों का आरोप: जानबूझकर पैदा किया जा रहा संकट

किसानों का कहना है कि खाद की कमी जानबूझकर पैदा की जा रही है ताकि उन्हें लूटा जा सके। मूंग की फसल के बाद अब डीएपी और यूरिया की किल्लत ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। टीकाराम कोष्टा, प्रदेश कोऑर्डिनेटर अलीम मंसूरी, राजेश पटेल, पी पी पटेल, राजू तोमर, अशोक यादव, विजय अग्रवाल, रविंद्र कुशवाहा, धर्मेंद्र कुशवाहा, संजू ठाकुर, अशोक चौधरी, और लखन चौधरी जैसे कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया कि सरकार इस संकट को दूर करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रही। निजी विक्रेताओं द्वारा खाद को ऊंचे दामों पर बेचा जा रहा है, जबकि सरकारी गोदामों और सहकारी समितियों में खाद का स्टॉक खत्म है।

धान उत्पादक किसानों की मुश्किलें बढ़ीं

यूरिया की कमी से धान उत्पादक किसान सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। डीएपी के स्थान पर कॉम्प्लेक्स खाद का उपयोग करने के लिए मजबूर किया जा रहा है, लेकिन अब कॉम्प्लेक्स खाद की भी किल्लत शुरू हो गई है। प्रदेश के लगभग एक दर्जन जिलों में किसान खाद के लिए लंबी-लंबी कतारों में खड़े हैं। कई जगहों पर किसानों ने हाईवे जाम कर अपना विरोध दर्ज किया है। इसके बावजूद, सरकार खाद की कमी को स्वीकार करने के बजाय कांग्रेस पर दोषारोपण कर रही है।

कांग्रेस की मांग: जमीनी हकीकत देखे सरकार

कांग्रेस ने मांग की है कि सरकार जमीनी स्तर पर जाकर किसानों की समस्याओं को समझे और तत्काल समाधान करे। नेताओं ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने किसानों की परेशानियों को दूर नहीं किया, तो कांग्रेस आंदोलन करने के लिए मजबूर होगी।

उत्पादन पर मंडराया खतरा

खाद की कमी के कारण फसलों का उत्पादन प्रभावित हो रहा है। किसानों का कहना है कि समय पर खाद न मिलने से उनकी फसलें खराब हो रही हैं, जिससे उनकी आय और आजीविका पर सीधा असर पड़ रहा है।

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✍️ संपादक: दयाल चंद यादव (MCJ)
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