मवेशी तस्करों का दुस्साहस: लांजी में पिकअप ने तोड़ा बकरामुंडी जांच नाका, वन विभाग की लापरवाही उजागर

लांजी, बालाघाट | 18 अगस्त 2025 – मवेशी तस्करी के खिलाफ निष्क्रिय प्रशासन और लचर व्यवस्था ने एक बार फिर लांजी क्षेत्र को सुर्खियों में ला दिया। 16 अगस्त की देर रात, सालेटेकरी मार्ग पर बकरामुंडी जांच नाके पर मवेशियों से भरी एक पिकअप ने न केवल बेरियर तोड़ दिया, बल्कि तेज रफ्तार में फरार हो गई। यह घटना न सिर्फ वन विभाग की लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि समाज को यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हमारी व्यवस्था मवेशी तस्करों के सामने नतमस्तक हो चुकी है?


घटना का विवरण: तेज रफ्तार पिकअप ने मचाया उत्पात

घटना 16 अगस्त की रात करीब 11 बजे की है, जब लांजी के सालेटेकरी मार्ग पर स्थित बकरामुंडी जांच नाके पर मवेशियों से भरी एक पिकअप ने स्टॉपर और बेरियर को क्षतिग्रस्त कर दिया। ग्राम घोटी के सरपंच श्रीचंद कामड़े, जो जन्माष्टमी के कार्यक्रम से लौट रहे थे, ने बताया कि सालेटेकरी की ओर से तेज रफ्तार में आ रही पिकअप ने पहले स्टॉपर को ठोकर मारी और फिर बेरियर तोड़कर लांजी की ओर भाग गई। गनीमत रही कि इस दौरान कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ, वरना सरपंच के परिजनों या अन्य राहगीरों की जान को खतरा हो सकता था।

नाके पर ड्यूटी दे रहे वनपाल ज्ञानीराम गोटाफोड़े और वनरक्षक जयप्रकाश कुमारे ने बताया कि रात 11 बजे के आसपास यह पिकअप तेज गति से आई और बेरियर को तोड़कर फरार हो गई। घटना की सूचना तुरंत वरिष्ठ अधिकारियों को दी गई और 17 अगस्त को लांजी थाने में लिखित शिकायत दर्ज की गई। लेकिन सवाल यह है कि क्या सिर्फ शिकायत दर्ज करने से तस्करों पर लगाम लगेगी?

मवेशी तस्करी: लांजी में लंबे समय से अनसुलझा मुद्दा

लांजी क्षेत्र में मवेशी तस्करी कोई नई बात नहीं है। बहेला, टिमकीटोला, आमगांव रोड, और मछुरदा से लांजी मार्ग पर तस्कर रात के अंधेरे में धड़ल्ले से मवेशियों को एक राज्य से दूसरे राज्य ले जाते हैं। कुछ महीने पहले भी इसी नाके के पास महाराष्ट्र के एक ट्रक को पकड़ा गया था, लेकिन लगातार कार्रवाई के अभाव में तस्कर बेखौफ हो चुके हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण यह गोरखधंधा फल-फूल रहा है।

वन विभाग का गैर-जिम्मेदाराना रवैया

जब इस मामले में वन परिक्षेत्र अधिकारी अभिषेक जाट से संपर्क किया गया, तो उन्होंने नियमों का हवाला देकर कोई भी जानकारी साझा करने से इनकार कर दिया। वहीं, एसडीओ राकेश कुमार अड़कने का फोन बंद होने के कारण उनसे कोई जवाब नहीं मिल सका। यह रवैया दर्शाता है कि वन विभाग इस गंभीर मुद्दे को लेकर कितना गैर-जिम्मेदार है। क्या जिम्मेदार अधिकारियों का यही रवैया तस्करों को और बढ़ावा नहीं दे रहा?

समाज की जिम्मेदारी: तस्करी के खिलाफ एकजुट हों

यह घटना केवल एक नाके के टूटने की नहीं, बल्कि हमारी व्यवस्था की नाकामी की कहानी है। मवेशी तस्करी न केवल पशुओं के प्रति क्रूरता को दर्शाती है, बल्कि सड़क सुरक्षा और कानून-व्यवस्था के लिए भी खतरा है। समाज के हर नागरिक को इस खिलाफ आवाज उठानी होगी:

  • स्थानीय निवासियों की भूमिका: संदिग्ध गतिविधियों की तुरंत सूचना पुलिस और वन विभाग को दें।

  • प्रशासन की जवाबदेही: नाकों पर सख्ती, सीसीटीवी कैमरे, और रात में गश्त बढ़ाई जाए।

  • जनप्रतिनिधियों का दायित्व: क्षेत्र में मवेशी तस्करी रोकने के लिए ठोस नीतियां और कार्रवाई सुनिश्चित करें।

अक्षर सत्ता इस घटना की निष्पक्ष जांच की मांग करता है और समाज से अपील करता है कि हम सब मिलकर तस्करी और लापरवाही के खिलाफ एकजुट हों। सड़क सुरक्षा और पशु कल्याण हम सभी की साझा जिम्मेदारी है।

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