जर्जर भवन, खतरे में वनकर्मियों की जान
निरीक्षण के दौरान देखा गया कि बकरामुंडी जांच नाके का शासकीय भवन लगभग जमींदोज हो चुका है। केवल सामने का छप्पर बचा है, जो कभी भी गिर सकता है। भारी बारिश के दौरान इस भवन के ढहने का खतरा और बढ़ जाता है, जिससे गंभीर दुर्घटना की आशंका बनी हुई है। फिर भी, वनकर्मी इस खतरनाक स्थिति में ड्यूटी करने को मजबूर हैं। हैरानी की बात यह है कि लांजी वन विभाग का मुख्य कार्यालय इस नाके से मात्र 500 मीटर की दूरी पर है, लेकिन वरिष्ठ अधिकारियों ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया।
वनकर्मियों की शिकायत, अधिकारियों की उदासीनता
वनकर्मियों ने बताया कि उन्होंने कई बार जांच नाके की जर्जर हालत के बारे में वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित किया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। कर्मचारियों का कहना है कि यदि जल्द ही मरम्मत या पुनर्निर्माण नहीं किया गया, तो यह भवन ढह सकता है, जिससे उनकी जान को खतरा हो सकता है। बारिश के मौसम में स्थिति और भी बदतर हो जाती है, क्योंकि छत से पानी टपकता है और दीवारें कमजोर हो चुकी हैं।
परिक्षेत्र अधिकारी की अनदेखी
बकरामुंडी जांच नाका लांजी पूर्व परिक्षेत्र के अंतर्गत आता है, लेकिन परिक्षेत्र अधिकारी ने इस मामले पर कोई ध्यान नहीं दिया। वनकर्मियों ने बताया कि उन्होंने कई बार मरम्मत के लिए आग्रह किया, लेकिन अधिकारियों का जवाब यही रहता है कि जिला मुख्यालय से स्वीकृति का इंतजार हो रहा है। यह लापरवाही न केवल वनकर्मियों के लिए असुविधा पैदा कर रही है, बल्कि उनकी सुरक्षा को भी खतरे में डाल रही है।
तत्काल कार्रवाई की जरूरत
वन विभाग को इस मामले में तुरंत कदम उठाने की आवश्यकता है। बकरामुंडी जांच नाके की मरम्मत या पुनर्निर्माण कर वनकर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए। साथ ही, विभाग को ऐसी लापरवाही पर अंकुश लगाने के लिए जवाबदेही तय करनी होगी।
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