आदिवासी दिवस: मूलनिवासियों के सम्मान का प्रतीक
नगर परिषद अध्यक्ष श्रीमती रेखा ताराचंद कालबेले ने बैठक में कहा, "9 अगस्त को मनाया जाने वाला आदिवासी दिवस मूलनिवासी लोगों के सम्मान और उनके अधिकारों को मान्यता देने का दिन है। यह हमारी सांस्कृतिक और सामाजिक विरासत को संजोने का अवसर है।" उन्होंने यह भी बताया कि रक्षाबंधन, जो भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है, उसी दिन मनाया जाएगा। दोनों पर्वों को शांतिपूर्ण और उत्साहपूर्ण ढंग से मनाने के लिए व्यापक व्यवस्थाएँ सुनिश्चित की जाएंगी।
सुरक्षा और व्यवस्था पर विशेष ध्यान
बैठक में सुरक्षा, सफाई और सार्वजनिक व्यवस्था जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की गई। आदिवासी दिवस के अवसर पर आयोजित होने वाली रैली के लिए विशेष व्यवस्थाएँ करने पर जोर दिया गया। लांजी थाना प्रभारी वीभेंदू टांडिया ने उपस्थित व्यापारियों से शांतिपूर्ण रैली सुनिश्चित करने के लिए सहयोग की अपील की। उन्होंने चेतावनी दी कि हुड़दंग या अव्यवस्था फैलाने वाले असामाजिक तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
एकता और भाईचारे का संदेश
नगर परिषद ने दोनों पर्वों को एक साथ मनाने के लिए ऐसी व्यवस्थाएँ करने का निर्णय लिया, जो समुदाय में एकता और भाईचारे को बढ़ावा दें। बैठक में उपस्थित सभी पक्षों ने इस दिशा में सहयोग का आश्वासन दिया।
प्रमुख उपस्थित व्यक्तियों की सूची
बैठक में नगर परिषद अध्यक्ष रेखा ताराचंद कालबेले, लांजी थाना प्रभारी वीभेंदू वेंकट टांडिया, एकल अभियान संच अध्यक्ष झनकार किरनापुरे, आरक्षक सुजीत पाल, आरक्षक चेतन सोनी, सांसद प्रतिनिधि ताराचंद कालबेले, नगर परिषद सीएमओ मयूर वाहने, राजस्व प्रभारी संतोष भार्गव, आदिवासी संगठन प्रभारी दिनेश उइके, आदिवासी समाज के महेश घोड़मारे और महेंद्र रणदीवे, ठेकेदार अतहर आलम, शेखर कश्यप, बादल इटोरिया, मीरा कश्यप और अन्य व्यापारी बंधु उपस्थित रहे।

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