बरगी नगर, जबलपुर, 10 अगस्त 2025 | विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर, मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले के बरगी नगर में विभिन्न सामाजिक संगठनों और आदिवासी समुदायों ने एकजुट होकर आदिवासी संस्कृति, परंपराओं, और अधिकारों के संरक्षण व संवर्धन की आवश्यकता पर बल दिया। इस दिन को मनाने के लिए सिद्ध स्थल पुराना पानी में वीर योद्धा महाराज बिरसा मुंडा, राजा शंकर शाह, कुंवर रघुनाथ शाह, और महारानी रानी लक्ष्मी बाई की प्रतिमाओं पर विशेष पूजन-अर्चन का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में युवा कांग्रेस के जिला ग्रामीण अध्यक्ष इंजीनियर चमन कोडी लाल राय ने आदिवासी समुदाय के नेताओं के साथ मिलकर हिस्सा लिया और आदिवासी विरासत के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
आदिवासी संस्कृति: हमारी धरोहर, हमारी पहचान
विश्व आदिवासी दिवस, जो हर साल 9 अगस्त को मनाया जाता है, आदिवासी समुदायों की सांस्कृतिक धरोहर, जीवनशैली, और प्राकृतिक संसाधनों पर उनके अधिकारों को उजागर करने का अवसर प्रदान करता है। बरगी नगर में आयोजित कार्यक्रमों में वक्ताओं ने जोर देकर कहा कि आदिवासी समाज की ऐतिहासिक पहचान और उनके प्रकृति के साथ गहरे जुड़ाव को संरक्षित करना न केवल सामाजिक, बल्कि पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।
आदिवासी समुदायों ने सदियों से प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग संतुलित और टिकाऊ तरीके से किया है। उनकी जीवनशैली पर्यावरण संरक्षण का एक जीवंत उदाहरण है। वक्ताओं ने बताया कि आदिवासी संस्कृति में प्रकृति पूजन, सामुदायिक एकता, और परंपराओं का अनूठा संगम है, जो आधुनिक समाज के लिए प्रेरणादायी है।
अधिकारों का संरक्षण: एक साझा दायित्व
कार्यक्रम में उपस्थित नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आदिवासी समुदायों के अधिकारों पर ध्यान केंद्रित किया। विशेष रूप से, वन अधिकार अधिनियम 2006 और पेसा अधिनियम के प्रभावी कार्यान्वयन पर जोर दिया गया। इन कानूनों का उद्देश्य आदिवासी समुदायों को उनकी जमीन, जंगल, और जल संसाधनों पर अधिकार दिलाना है। हालांकि, कई क्षेत्रों में इन अधिकारों का पूरी तरह से कार्यान्वयन नहीं हो पाया है, जिसके लिए सामाजिक संगठनों ने सरकार से त्वरित कार्रवाई की मांग की।
इंजीनियर चमन कोडी लाल राय ने अपने संबोधन में कहा, "हमारे आदिवासी नायकों जैसे बिरसा मुंडा और रानी लक्ष्मी बाई ने अपने अधिकारों और स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया। आज हमारी जिम्मेदारी है कि हम उनकी विरासत को संरक्षित करें और उनके अधिकारों की रक्षा करें।"
भविष्य की दिशा: शिक्षा और जागरूकता
कार्यक्रम में आदिवासी समुदाय के लिए शिक्षा और जागरूकता के महत्व पर भी चर्चा हुई। विशेषज्ञों ने बताया कि आदिवासी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और आधुनिक अवसर प्रदान करके उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति को मजबूत किया जा सकता है। इसके साथ ही, उनकी सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने के लिए स्थानीय भाषाओं और परंपराओं को स्कूलों में शामिल करने की आवश्यकता पर बल दिया गया।
एकजुटता का संदेश
विश्व आदिवासी दिवस 2025 का आयोजन बरगी नगर में न केवल आदिवासी समुदाय की एकजुटता का प्रतीक बना, बल्कि यह भी दर्शाता है कि समाज के सभी वर्गों को मिलकर उनकी संस्कृति और अधिकारों की रक्षा के लिए काम करना होगा। इस अवसर पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों में आदिवासी नृत्य, संगीत, और कला ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया, जिसने उनकी समृद्ध विरासत को जीवंत रूप में प्रस्तुत किया।
आदिवासी समुदाय की पहचान और उनके अधिकारों का संरक्षण हम सबकी साझा जिम्मेदारी है। विश्व आदिवासी दिवस हमें याद दिलाता है कि हमें उनकी संस्कृति का सम्मान करना चाहिए और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए निरंतर प्रयास करना चाहिए।
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