कार्यक्रम का शुभारंभ
कार्यक्रम की शुरुआत भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना और आरती के साथ हुई। इस अवसर पर प्राचार्य श्री डी.के. फुल्लारे, सभी शिक्षकगण और अतिथि उपस्थित रहे। मंच का संचालन श्री अनंतराम फुंडे और श्री आर.जी. नागपुरे ने किया। दोनों ने मधुर कृष्ण भजनों से माहौल को भक्ति रस में डुबो दिया।
बच्चों की मनमोहक प्रस्तुतियां
विद्यालय के बच्चों ने राधा-कृष्ण की वेशभूषा में नृत्य, गीत और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीं। नन्हे-मुन्नों की मनमोहक झांकियों और अदाओं ने दर्शकों का मन मोह लिया। सभागार में उपस्थित सभी लोग तालियों की गड़गड़ाहट के साथ बच्चों का उत्साहवर्धन करते रहे।
उपस्थित अतिथि और शिक्षकगण
इस अवसर पर प्राचार्य डी.के. फुल्लारे, एस.आई. बनाठे, अभिलाषा मौर्य, रविता टांडेकर, जी.आर. चिखले, आशा दुरुगकर, छाया किशोर धरते, मुकेश हरिनखेड़े, रामगोपाल नागपुरे, पद्माकर लटारे, शिवानी खरगाल, प्रेमलता अवसरे, नंदकिशोर मेश्राम, बीरेश्वर सोनवाने, खेमराज कोठारे, भूमेश्वरी बघेल, अंजू कर्राहे, ममता भरने, समता बागड़े, चंद्रकुमार वैद्य, मुरलीधर मेश्राम, ओमकार बढ़ई, अंकित मेश्राम, व्यावसायिक प्रशिक्षक किरण कुमार, धर्मेन्द्र सुलाखे, चंद्रशेखर दुरुगकर, फरीन खान सहित अन्य अतिथि और शिक्षकगण उपस्थित थे।
भगवान श्रीकृष्ण का संदेश
विद्यालय परिवार ने इस आयोजन के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण के उपदेशों—धर्म, कर्म और मित्रता—का संदेश प्रसारित किया। प्राचार्य डी.के. फुल्लारे ने अपने संबोधन में कहा, “बच्चों की प्रस्तुतियों ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ा दी। यह आयोजन न केवल भक्ति का प्रतीक है, बल्कि यह हमें श्रीकृष्ण के नैतिक और आध्यात्मिक उपदेशों को जीवन में अपनाने की प्रेरणा भी देता है।”
प्रसाद वितरण
कार्यक्रम के समापन पर सभी उपस्थित लोगों के बीच प्रसाद वितरण किया गया, जिसने इस भक्तिमय आयोजन को और भी यादगार बना दिया।
शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय लांजी में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का यह आयोजन न केवल एक धार्मिक उत्सव था, बल्कि यह बच्चों और शिक्षकों के सामूहिक प्रयासों का एक शानदार उदाहरण भी था। इस तरह के आयोजन बच्चों में सांस्कृतिक और नैतिक मूल्यों को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

एक टिप्पणी भेजें