कार्यक्रम का शुभारंभ
व्याख्यान की शुरुआत माँ सरस्वती की प्रार्थना और दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई। विभागाध्यक्ष डॉ. ब्रह्मानंद त्रिपाठी ने अपने उद्बोधन में कहा कि ओजोन परत मानव जीवन की रक्षा करने वाली कवच है। यह पृथ्वी को हानिकारक अल्ट्रावायलेट किरणों से बचाती है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि ओजोन परत का क्षरण जारी रहा, तो मानव में कैंसर और अंधत्व जैसे गंभीर रोग बढ़ सकते हैं। उन्होंने क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFC) उत्सर्जन को कम करने, इको-फ्रेंडली उत्पादों का उपयोग बढ़ाने, और भौतिक सुविधाओं का सीमित उपयोग करने की आवश्यकता पर बल दिया।
प्राचार्य और विशेषज्ञों का उद्बोधन
महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. सुनीता मिश्रा ने कहा कि ओजोन परत के नुकसान को रोकने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हैं। उन्होंने अधिक से अधिक वृक्षारोपण और हानिकारक कारकों को कम करने की अपील की। डॉ. अजय तिवारी ने बताया कि हर साल 16 सितंबर को विश्व ओजोन दिवस जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। उन्होंने लालच और आवश्यकता के बीच अंतर को समझने की बात कही, साथ ही भारतीय संस्कृति के "संतोषम परम सुखम" के मूल्य को अपनाने पर जोर दिया।
डॉ. देवेंद्र धुर्वे ने जलवायु परिवर्तन और मानवीय गतिविधियों के कारण बढ़ती प्राकृतिक आपदाओं पर चिंता जताई। उन्होंने साझा प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया। डॉ. बसंती अग्रवाल ने ओजोन परत को पृथ्वी का कवच बताते हुए पर्यावरण-अनुकूल वस्तुओं के उपयोग की वकालत की। डॉ. हर्षा सिसोदिया ने इस वर्ष की थीम "विज्ञान से वैश्विक कार्यवाही तक" पर प्रकाश डाला, जिसका उद्देश्य ओजोन परत को विषैली गैसों से बचाना और वायुमंडल को सुरक्षित रखना है।
पौधारोपण और जागरूकता
कार्यक्रम के समापन पर भूगोल विभाग की छात्राओं ने परिसर में वृक्षारोपण किया, जो पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। संचालन रूची यादव ने किया, जबकि आभार प्रदर्शन आकांक्षा नामदेव ने किया। व्याख्यान में बीए और एमए की छात्राओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
आयोजन में योगदान
कार्यक्रम के सफल आयोजन में डॉ. किरण कुमार, श्री अरुण शर्मा, और श्रीमती रेखा पटेल का विशेष योगदान रहा। यह आयोजन न केवल ओजोन परत के महत्व को उजागर करता है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के प्रति युवाओं में जागरूकता फैलाने में भी महत्वपूर्ण रहा।
विश्व ओजोन दिवस के अवसर पर आयोजित यह व्याख्यान पर्यावरण संरक्षण और ओजोन परत की सुरक्षा के लिए सामूहिक जिम्मेदारी को रेखांकित करता है। यह कार्यक्रम नई पीढ़ी को पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनाने और टिकाऊ जीवनशैली अपनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। जबलपुर जैसे शहरों में इस तरह के आयोजन पर्यावरण जागरूकता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
एक टिप्पणी भेजें