बालाघाट, 02 सितम्बर 2025। बालाघाट में दशहरा पर्व की धूम हर साल की तरह इस बार भी देखने को मिलेगी। जिले में 62वें दशहरा चल समारोह का आयोजन महावीर सेवादल समिति द्वारा किया जाएगा, जिसमें युवा साधक तुषार उपाध्याय हनुमान जी का चोला धारण कर भगवान श्रीराम के रथ के आगे अपनी सेना के साथ चलेंगे। यह परंपरा, जो मूल रूप से सोनीपत से शुरू हुई थी, पिछले 61 वर्षों से बालाघाट की धार्मिक पहचान बन चुकी है। इस वर्ष तुषार उपाध्याय को 40 किलो वजनी हनुमान मुकुट धारण करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है, जिसकी घोषणा रिसीवर एसडीएम गोपाल सोनी ने की।
तुषार उपाध्याय: 14 वर्षों से हनुमान जी की भक्ति में लीन
तुषार उपाध्याय ने वर्ष 2006 से महावीर सेवादल समिति के साथ अपनी सेवा शुरू की थी। साल 2011 से वे हर वर्ष दशहरा चल समारोह में हनुमान स्वरूप धारण करने वाले साधकों के साथ 40 दिनों की कठिन तपस्या में सहभागी रहे हैं। इस बार उन्हें स्वयं हनुमान जी का चोला धारण करने का अवसर मिला है। तुषार ने इस सौभाग्य पर खुशी जाहिर करते हुए कहा, "प्रभु श्रीराम और हनुमान जी के आशीर्वाद से मुझे यह पुण्य कार्य करने का अवसर मिला है। मैंने अपनी प्रारंभिक तैयारी शुरू कर दी है, जिसमें सुबह-शाम व्यायाम और मंदिर में हनुमान चालीसा का पाठ शामिल है। नवरात्रि से मैं पूर्णकालिक रूप से मंदिर में तपस्या पूरी करूंगा।"
दशहरा चल समारोह: बालाघाट की धार्मिक परंपरा
दशहरा चल समारोह बालाघाट के प्रमुख धार्मिक आयोजनों में से एक है, जिसमें हनुमान स्वरूप धारण करने वाला साधक समारोह का मुख्य आकर्षण होता है। 40 किलो वजनी हनुमान मुकुट और चोला धारण कर साधक भगवान श्रीराम के रथ के आगे चलता है, जो भक्ति और शक्ति का प्रतीक है। इस परंपरा को जीवंत रखने के लिए महावीर सेवादल समिति हर साल कठिन परिश्रम और समर्पण के साथ आयोजन करती है। इस वर्ष समारोह 2 अक्टूबर 2025 को आयोजित होगा, जैसा कि वैदिक पंचांग के अनुसार दशमी तिथि निर्धारित है।
शुभकामनाएं और समर्थन
तुषार उपाध्याय को हनुमान स्वरूप धारण करने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के माधव विध्वंस, रविन्द्र श्रीवास्तव, पूज्य ब्राह्मण सभा अध्यक्ष किरण भाई त्रिवेदी, और सुनील खोटेले ने बधाई दी है। समिति के सदस्यों और स्थानीय लोगों ने भी तुषार के समर्पण और भक्ति की सराहना की है। तुषार ने बताया कि इस कठिन तपस्या के लिए वे शारीरिक और मानसिक रूप से पूरी तरह तैयार हैं और इसे प्रभु की कृपा मानते हैं।
हनुमान चोला धारण की तैयारी
हनुमान चोला धारण करने की प्रक्रिया अत्यंत पवित्र और कठिन होती है। साधक को 40 दिनों तक ब्रह्मचर्य का पालन, जमीन पर सोना, दिन में एक बार भोजन करना, और नंगे पैर रहना होता है। तुषार ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है और नवरात्रि (28 सितंबर 2025 से शुरू) से वे मंदिर में पूर्णकालिक तपस्या में लीन हो जाएंगे। इस दौरान वे हनुमान चालीसा का पाठ, ध्यान, और व्यायाम के माध्यम से खुद को तैयार करेंगे।
बालाघाट का दशहरा चल समारोह न केवल धार्मिक उत्सव है, बल्कि यह भक्ति, समर्पण, और सामुदायिक एकता का प्रतीक भी है। तुषार उपाध्याय का हनुमान चोला धारण करना इस परंपरा को और जीवंत बनाएगा। उनके 14 वर्षों के समर्पण और इस वर्ष मिले सौभाग्य ने स्थानीय लोगों में उत्साह भर दिया है। अब सभी की निगाहें 2 अक्टूबर 2025 को होने वाले इस भव्य आयोजन पर टिकी हैं, जहां तुषार उपाध्याय हनुमान जी के स्वरूप में भक्तों के बीच आकर्षण का केंद्र होंगे।
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