![]() |
नगर परिषद अध्यक्ष रेखा ताराचंद कालबेले |
सरकार का अहम निर्णय: प्रत्यक्ष चुनाव और अविश्वास प्रस्ताव में बदलाव
मध्यप्रदेश सरकार ने नगर पालिका (संशोधन) अध्यादेश, 2025 को मंजूरी दी है, जिसके तहत मध्यप्रदेश नगर पालिका अधिनियम, 1961 की धारा 19, 20(2), 32 से 35, 43, 45, 47, 55, 63 और 328 में संशोधन किया जाएगा। इस संशोधन के तहत 2027 में होने वाले नगरीय निकाय चुनावों में अध्यक्षों का चुनाव जनता द्वारा सीधे किया जाएगा। इस फैसले से नगर परिषदों में बार-बार होने वाले अविश्वास प्रस्तावों से अध्यक्षों को राहत मिलेगी।
लांजी नगर परिषद में क्या होगा असर?
बालाघाट जिले की लांजी तहसील की नगर परिषद में अध्यक्ष रेखा ताराचंद कालबेले के खिलाफ चल रही राजनीतिक उथल-पुथल पर इस निर्णय का क्या प्रभाव पड़ेगा, यह अभी स्पष्ट नहीं है। हालांकि, कैबिनेट के इस फैसले से रेखा ताराचंद कालबेले ने राहत की सांस जरूर ली होगी। यह अध्यादेश अभी लागू नहीं हुआ है, क्योंकि इसे राज्यपाल की मंजूरी मिलना बाकी है। राज्यपाल की मंजूरी के बाद ही यह तय होगा कि वर्तमान अविश्वास प्रस्ताव पर इसका कोई असर होगा या नहीं।
'घोड़ा व्यापार' पर लगेगी रोक
सरकार के इस निर्णय से नगरीय निकाय चुनावों में 'घोड़ा व्यापार' (नेताओं की खरीद-फरोख्त) पर पूर्णतः रोक लग जाएगी। इससे जनता की ताकत बढ़ेगी, और वे सीधे अपने अध्यक्ष का चुनाव कर सकेंगे। पिछले पांच वर्षों से चली आ रही नेताओं की खरीद-फरोख्त की प्रथा समाप्त हो जाएगी। इसके साथ ही चुने गए नेताओं की जवाबदेही बढ़ेगी, और वे जनता के प्रति अधिक जिम्मेदार होंगे।
लंबी कार्यावधि, बेहतर विकास
अविश्वास प्रस्ताव की अवधि 4.5 वर्ष होने से अध्यक्षों को अपनी विकास योजनाओं को लागू करने के लिए पर्याप्त समय मिलेगा। इससे न केवल स्थानीय निकायों में स्थिरता आएगी, बल्कि जनता भी अपने चुने हुए अध्यक्ष से सीधे सवाल-जवाब कर सकेगी। इस बदलाव से दलगत राजनीति पर भी अंकुश लगेगा।
भविष्य में जनता चुनेगी अपना अध्यक्ष
मध्यप्रदेश सरकार ने नगर पालिका अधिनियम, 1961 में संशोधन कर अध्यक्ष पद के लिए प्रत्यक्ष चुनाव की व्यवस्था को लागू करने का निर्णय लिया है। इसका मतलब है कि अब नगर पालिका और नगर परिषद के अध्यक्ष का चुनाव सीधे जनता द्वारा किया जाएगा। यह व्यवस्था 1999 से 2014 तक लागू थी, लेकिन 2019 में कोविड-19 महामारी के कारण यह प्रक्रिया बाधित हो गई थी। अब 2027 के नगरीय निकाय चुनावों में इस व्यवस्था को फिर से लागू किया जाएगा।
मोहन यादव सरकार का यह निर्णय नगरीय निकायों में लोकतंत्र को और मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे न केवल जनता की भागीदारी बढ़ेगी, बल्कि स्थानीय नेतृत्व को भी स्थिरता और विकास के लिए अधिक समय मिलेगा। लांजी नगर परिषद की राजनीतिक उथल-पुथल इस निर्णय से किस दिशा में जाएगी, यह आने वाला समय बताएगा।
إرسال تعليق