'नरसिंहा' फिल्म की काव्यात्मक समीक्षा
'नरसिंह' फिल्म ने दी गवाही
हमारे गौरवशाली इतिहास
और समृद्ध महान परंपरा की |
कथा थी - भक्त प्रहलाद की
और भगवान विष्णु के
नरसिंह अवतार की |
'होलिका' भी थी जली
जो क्रूर राक्षसी बहन थी
हिरण कश्यप की |
लेकर बैठी थी अपनी गोद में,
विष्णु भक्त प्रहलाद को,
कोशिश भी प्राण हरण की |
जिस कारण आज भी,
हम मनाते हैं, रंग भरी होली ||
शानदार था -
हिरण कश्यप का अंत भी |
फिल्म थी रोमांच और
उत्साह से भरी |
बीच-बीच में था हास्य
और कुछ मारधाड़ भी |
दिखलाई थी, कुछ पूर्व कथा
और भगवान विष्णु का
'वराह' अवतार भी |
देखने आए थे जिसे
बच्चें -बूढ़े और नौजवान सभी |
महिलाएं थी, साड़ी
सलवार कुर्ते वाली
और कमीज-पतलून में भी |
भले बदला हो रहन-सहन
और सोचने का ढंग भी |
गुजर चुका है-एक चौथाई
इक्कीसवी सदी का भी,
जीवित है, भारतीयता
भीतर से अभी ||
थी, सबके मन में उत्सुकता
और बच्चों-सी खुशी,
जबकि जानते थे,
कथा का सार पहले से ही |
एनीमेशन पसंद करता है,
हर कोई जी क्योंकि
दिल तो अभी बच्चा है जी ||
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