जबलपुर, 6 अक्टूबर 2025 – मध्य प्रदेश में जहरीले कफ सिरप के सेवन से 12 बच्चों की दर्दनाक मौत के मामले ने पूरे राज्य को स्तब्ध कर दिया है। विपक्षी कांग्रेस ने राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग की घोर लापरवाही पर सवाल उठाते हुए दोषी अधिकारियों व दवा निर्माताओं के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करने की मांग की है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश उपाध्यक्ष (ओबीसी विभाग) टीकाराम कोष्टा ने कहा कि यह महज एक हादसा नहीं, बल्कि सिस्टम की आपराधिक उदासीनता का नतीजा है।
कोष्टा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के चलते कोल्ड्रिफ कफ सिरप जैसे जहरीले सिरप बाजार में घूमते रहे। सिरप के कई सैंपल फेल हो चुके थे, फिर भी ब्लैक लिस्टेड कंपनी को उत्पादन की अनुमति कैसे मिली? क्या यह 'चंदा दो, धंधा लो' की तर्ज पर दवा माफिया का खेल है? ड्रग कंट्रोलर और स्वास्थ्य विभाग इतने दिनों तक क्यों सोता रहा?"
|  | 
| कांग्रेस नेता टीकाराम कोष्टा | 
उन्होंने बताया कि तमिलनाडु सरकार द्वारा इस सिरप पर बैन लगाए जाने के बाद भी मध्य प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग जागा। तब तक छिंदवाड़ा जिले में एक-दो मौतों के बाद भी शिकायतों को नजरअंदाज किया गया। "प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ने शुरुआती शिकायतों को नकारा, जिससे 8-10 बच्चों की जानें बचाई जा सकती थीं। अगर समय रहते अलर्ट जारी होता, तो यह त्रासदी टल सकती थी।" कोष्टा ने कहा।
इस घटना के बाद डॉक्टर प्रवीण सोनी समेत कई आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं, और श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स कंपनी पर एफआईआर दर्ज हुई है। विशेष जांच दल (SIT) गठित कर जांच चल रही है, लेकिन कांग्रेस नेताओं का कहना है कि यह काफी नहीं। मध्य प्रदेश सरकार ने सिरप की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है, और प्रभावित परिवारों को मुआवजा घोषित किया गया, लेकिन विपक्ष इसे अपर्याप्त बता रहा है।
कांग्रेस नेताओं का संयुक्त बयान: दोषियों को सजा मिले, वरना आंदोलन तेज
मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अन्य वरिष्ठ नेता भी इस मुद्दे पर एकजुट दिखे। प्रदेश कोऑर्डिनेटर अलीम मंसूरी, प्रदेश महासचिव रामदास यादव, विजय अग्रवाल, डॉ. मोइन अंसारी, मामूर गुड्डू, पी.पी. पटेल, राजू तोमर, राजेश पटेल, संजू ठाकुर, धर्मेंद्र कुशवाहा, अशोक चौधरी और पवन नामदेव ने संयुक्त बयान जारी कर कहा, "जहरीले सिरप से हुई इन मौतों के जिम्मेदारों की लापरवाही हत्या के समान है। तत्काल जांच हो और दोषियों पर हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाए। स्वास्थ्य मंत्री को नैतिक जिम्मेदारी लेनी चाहिए और इस्तीफा देना चाहिए।"
कांग्रेस ने भोपाल में विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं, जहां कार्यकर्ताओं ने 12 खिलौनों के बच्चों को प्रतीकात्मक रूप से 'बीजेपी के गमछे' से फांसी लगाकर सरकार की नाकामी का प्रतीक चिन्ह दिखाया। पार्टी ने सड़क से सदन तक आंदोलन की चेतावनी दी है, और प्रभावित परिवारों के लिए 20 लाख रुपये मुआवजा व मुफ्त इलाज की मांग की है।
स्वास्थ्य विभाग पर सवाल: किडनी फेलियर का राज कैसे खुला?
जांच में सामने आया है कि सिरप में डायएथिलीन ग्लायकॉल जैसे जहरीले रसायन थे, जो बच्चों की किडनी फेलियर का कारण बने। छिंदवाड़ा के परासिया क्षेत्र में सात सितंबर से शुरू हुए इस सिलसिले में अब तक 12 मौतें दर्ज हो चुकी हैं, जबकि 8 बच्चे अभी भी नागपुर के अस्पतालों में भर्ती हैं। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने छह राज्यों में 19 दवा इकाइयों का निरीक्षण शुरू कर दिया है, और दिल्ली, गुजरात समेत अन्य राज्य भी अलर्ट मोड में हैं।
यह मामला न केवल मध्य प्रदेश, बल्कि पूरे देश के लिए सबक है। दवा नियंत्रण व्यवस्था की पोल खुल चुकी है, और अब सवाल उठ रहा है कि क्या सरकार इस ब्लैक मार्केट को रोक पाएगी?

إرسال تعليق