जबलपुर कांचघर दशहरा 2025: प्रेम-करुणा बरसाती मां दुर्गा काली की भव्य चल समारोह में लाखों भक्तों का मनोहरण

जबलपुर, 4 अक्टूबर 2025: भारत की सनातन परंपरा में नवरात्रि और दशहरा का पर्व आस्था, भक्ति और उत्साह का प्रतीक रहा है। जबलपुर की हृदय स्थली उपनगरी कांचघर में यह परंपरा पिछले 39 वर्षों से जीवंत हो रही है। कांचघर दशहरा चल समारोह समिति 2025 ने एक बार फिर मां जगतजननी दुर्गा काली की भव्य अगवानी की, जहां प्रेम, करुणा और आशीर्वाद की वर्षा ने लाखों श्रद्धालुओं के हृदय को भक्ति के सैलाब से सराबोर कर दिया। जीसीएफ स्टेट राम मंदिर से प्रारंभ हुए इस ऐतिहासिक चल समारोह ने शहरवासियों को एक अविस्मरणीय अनुभव प्रदान किया।


राम मंदिर से राम अवतरण की खुशी में विशेष पूजा-अर्चना

चल समारोह की शुरुआत जीसीएफ स्टेट राम मंदिर से हुई, जहां भगवान राम के अयोध्या आगमन की पावन स्मृति को जीवंत करने के लिए विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं विधायक लखन घनघोरिया ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। घनघोरिया जी ने कहा, "मां दुर्गा की कृपा से यह समारोह न केवल हमारी सांस्कृतिक धरोहर को मजबूत करता है, बल्कि समाज में एकता और भाईचारे का संदेश भी देता है।"

पूजा के पश्चात, समिति सदस्यों ने चल समारोह में स्थापित प्रतिमाओं को फूल, मालाओं और श्रीफल से अभिसिंक्त कर जुलूस को गति दी। यह दृश्य देखकर उपस्थित जनसमूह में एक अद्भुत उत्साह का संचार हो गया।

नन्हीं कलाकारों से लेकर शेरों की गर्जना तक: समारोह की रंगीन झलक

चल समारोह की शुरुआत सबसे पहले नन्ही-नन्ही बालिकाओं के भावपूर्ण डांडिया नृत्य से हुई, जो मां दुर्गा के स्वरूप को जीवंत करती नजर आईं। इन नन्ही कलाकारों की चप्पलों की थाप और रंग-बिरंगे परिधानों ने दर्शकों के हृदय को छू लिया, मानो स्वयं मां की कृपा का आगमन हो।

पीछे-पीछे गिरजा शंकर रामलीला मंडली द्वारा प्रस्तुत राम-रावण का संजीव संवाद चित्रण श्रद्धालुओं की उत्सुकता का केंद्र बना रहा। घमापुर के कलाकारों ने रामायण के इस प्रसंग को इतनी जीवंतता से निभाया कि दर्शक वर्तमान में खो गए। इसके साथ ही, दुल-दुल घोड़ी नृत्य, मौर नृत्य और शेरों की गर्जना के साथ नृत्य कराते शेरों का प्रदर्शन समारोह को आलौकिक बना दिया। ये दृश्य न केवल सांस्कृतिक विविधता को दर्शाते थे, बल्कि स्थानीय लोककला को भी प्रमुखता प्रदान करते थे।

संगीत, आतिशबाजी और मां की छवि: आस्था का अविरल सैलाब

समारोह की चरम ऊंचाई तब छू ली जब विभिन्न वाद्य यंत्रों—ढोल, नगाड़े, शहनाई—की धुनों के साथ आकर्षक आतिशबाजी की धारा बहने लगी। इन सबके बीच मां दुर्गा काली की सुंदर झांकियां सबसे अधिक आकर्षण का केंद्र रहीं। इन झांकियों में मां का स्वरूप प्रेम, करुणा और आशीर्वाद लुटाता हुआ प्रतीत हो रहा था, जो उपस्थित लाखों भक्तों के मन को आस्था से भर रहा था। मानो मां स्वयं पृथ्वी पर अवतरित होकर अपने भक्तों को दर्शन दे रही हों।

यह चल समारोह न केवल धार्मिक आयोजन था, बल्कि सामाजिक एकजुटता का प्रतीक भी सिद्ध हुआ। कांचघर क्षेत्र के निवासियों ने इसे अपने घर का त्योहार मानते हुए पूरे उत्साह से भाग लिया।

समिति के संचालकों का योगदान: एकजुट प्रयासों का फल

इस भव्य समारोह के सफल आयोजन में कांचघर दशहरा चल समारोह समिति 2025 के प्रमुख सदस्यों का अहम योगदान रहा। समिति के सरमन रजक, एड. सुधीर शर्मा, डॉ. रमाकांत रावत, मुरली धर राव, मुन्ना ठाकुर, अतुल गुप्ता, भरत मंगलानी, दीपक ठाकुर, कल्लन गुप्ता, संजय साहू, संजू भोजक, गुड्डू झा, मनोज चौरसिया, संतोष शर्मा, विक्की विश्वकर्मा, गिरीश भाई, जालम सिंह, निक्की बेन, रज्जू रजक, राजेश पराग, शरण चौहटेल, दिलीप रैकवार, नारायण रजक, राजेश बचवानी, सुनील तिवारी, अनुराग सिंह ठाकुर, मुकुल यादव, परीक्षित भाई, गोपी प्रजापति, अखिल गुप्ता, शक्ति दहिया, राहुल श्रीवास, रूपेश चौरसिया, भगत श्रीवास, राजेश कोल एवं अन्य सदस्यों की मेहनत ने इसे यादगार बना दिया।

निष्कर्ष: परंपरा की अमर ज्योति

जबलपुर कांचघर दशहरा 2025 ने एक बार फिर सिद्ध कर दिया कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर कितनी जीवंत और प्रासंगिक है। यह समारोह न केवल मां दुर्गा की भक्ति को मजबूत करता है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत भी बनता है। यदि आप भी इसकी झलक देखना चाहें, तो अगले वर्ष के लिए तैयार रहें—क्योंकि कांचघर का दशहरा हर बार कुछ नया और चमत्कारिक लाता है।


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