सीजेआई का अपमान, डॉ. मोहन यादव पर अभद्र टिप्पणियां और सोनम वांगचुंग की गिरफ्तारी का विरोध: जबलपुर में 4-सूत्री मांगों के साथ सौंपा ज्ञापन

जबलपुर | 9 अक्टूबर 2025। जबलपुर के अम्बेडकर चौक पर संयुक्त पिछड़ा वर्ग मोर्चा एवं आवाक्स संगठनों ने जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) जस्टिस बी.आर. गवई के अपमान, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव पर अभद्र टिप्पणियों तथा लद्दाख के मानवाधिकार कार्यकर्ता सोनम वांगचुंग की गिरफ्तारी के विरोध में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के नाम 4-सूत्री मांग पत्र सौंपा। यह ज्ञापन जिला प्रशासन के माध्यम से भेजा गया, जिसमें सामाजिक सद्भाव बिगाड़ने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की गई है।


प्रदर्शन में सैकड़ों की संख्या में पिछड़ा वर्ग, दलित और बहुजन समाज के लोग शामिल हुए। संगठनों का आरोप है कि ये घटनाएं भारतीय संविधान और संवैधानिक पदों का अपमान करने का सुनियोजित षड्यंत्र हैं, जो समाज में वैमनस्यता फैला रही हैं। संयुक्त मोर्चा के नेताओं ने कहा कि ऐसी घटनाओं से ओबीसी, दलित और आदिवासी समुदायों में आक्रोश व्याप्त है, और सरकार को तत्काल हस्तक्षेप करना चाहिए।

ज्ञापन की प्रमुख मांगें

ज्ञापन में निम्नलिखित 4 सूत्री मांगें शामिल हैं:

  1. सीजेआई जस्टिस बी.आर. गवई पर जूता फेंकने की घटना: अधिवक्ता राकेश किशोर द्वारा सुप्रीम कोर्ट में की गई इस घटना को दलित वर्ग के सीजेआई के बहाने संविधान को कलंकित करने का षड्यंत्र बताया गया। मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से विस्तृत रिपोर्ट मंगाई जाए और दोषियों पर कठोर दंडात्मक कार्रवाई हो।
  2. सोनम वांगचुंग की तत्काल रिहाई: लद्दाख की आदिवासी समाज से ताल्लुक रखने वाली बौद्ध धर्मावलंबी गांधीवादी कार्यकर्ता सोनम वांगचुंग को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत गिरफ्तार किया गया है। वे मैगसेसे पुरस्कार विजेता प्रतिष्ठित नागरिक हैं, जो वर्तमान में जोधपुर जेल में बंद हैं। संगठनों ने इस कार्रवाई को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए उनकी रिहाई की मांग की।
  3. अधिवक्ता अनिल मिश्रा पर कार्रवाई: ग्वालियर हाईकोर्ट के अधिवक्ता अनिल मिश्रा द्वारा भारत रत्न बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर को अपशब्दों से नवाजने और गाली-गलौज करने को ओछी मानसिकता का परिचायक बताया। इससे दो समुदायों में वैमनस्य फैल रहा है। मांग है कि सामाजिक सद्भाव बिगाड़ने के लिए धारा 153ए के तहत उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई हो।
  4. डॉ. मोहन यादव पर अभद्र टिप्पणियों का विरोध: 27 प्रतिशत आरक्षण पर बयान देने के कारण मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को 'मनुवादी' फर्जी संत आनंद स्वरूप द्वारा हिंदू विरोधी, देशद्रोही और रामद्रोही जैसे शब्दों से संबोधित किया जा रहा है। यह संवैधानिक पद का मानमर्दन और समाज में जहर घोलने का प्रयास है। पिछड़े वर्ग के अधिकारों की बात करने वाले मुख्यमंत्री के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की गई।

प्रदर्शनकारियों की प्रतिक्रिया

प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे देवेश चौधरी ने कहा, "ये घटनाएं संविधान निर्माता बाबासाहेब अम्बेडकर के सपनों को कुचलने का प्रयास हैं। हम राष्ट्रपति से अपील करते हैं कि दोषियों को बख्शा न जाए, वरना आंदोलन तेज होगा।" इसी तरह रामरतन यादव ने सोनम वांगचुंग की गिरफ्तारी को "आदिवासी और बौद्ध समुदाय पर हमला" बताते हुए कहा कि यह मानवाधिकारों का उल्लंघन है। डॉ. घनश्याम यादव ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के समर्थन में बोले, "ओबीसी समाज का आक्रोश दबाया नहीं जा सकता। फर्जी संतों को सबक सिखाना जरूरी है।"

पृष्ठभूमि: विवादों की श्रृंखला

हाल के दिनों में सीजेआई जस्टिस बी.आर. गवई पर जूता फेंकने की घटना ने पूरे देश में आक्रोश पैदा किया है। इसी तरह, लद्दाख में पर्यावरण और शिक्षा के लिए संघर्षरत सोनम वांगचुंग की एनएसए के तहत गिरफ्तारी को मानवाधिकार संगठनों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा की है। मध्य प्रदेश में आरक्षण बहस के बीच डॉ. मोहन यादव पर हमलों ने राजनीतिक तनाव बढ़ा दिया है, जबकि बाबासाहेब अम्बेडकर के अपमान की घटनाएं सामाजिक एकता को चुनौती दे रही हैं। जबलपुर जैसे शहरों में ऐसे प्रदर्शन संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए जागरूकता फैला रहे हैं।

प्रदर्शन में बैजनाथ कुशवाहा, डॉ. बालमुकुंद यादव, वृंदावन वर्मा, तरुण रोहितास, धर्मेन्द्र कुशवाहा, धूमन सिंह यादव, मनोज वाघमारे, अनोखेलाल प्रजा, रज्जन यादव, रामकिशोर शिवहरे, शैलेश लोधी, कैलाश यादव, एड. ओ.पी. यादव, एड. गया प्रसाद कुशवाहा, देवेंद्र यादव, जितेंद्र यादव, घनश्याम चक्रवर्ती, अशोक यादव, राकेश श्रीवास, मुरारी लाल चक्रवर्ती, सुंदर बाबा, अमित पांडे, अमरजीत सिंह सग्गू, मेहंदी हसन, नीलचंद यादव, आरती ठाकुर, विजय यादव, मुरली लाल चक्रवर्ती, बृजनंदन कुशवाहा, रमेश रजक, दीपक वर्मा, कन्हैया कोस्टा, कमलेश धपोड़कर, बालकिशन दाहिया, जे.ए. रामटेके, डॉ. माणकलाल जाटव, मुरारी चक्रवर्ती, सी.एस. सिरसाठ, जीवन जाटव, दीपक चौधरी, डेनियल इब्राहिम, भरत कोरी, संतोष मराठा, प्रशांत बागड़े, चंद्रकला वासनिक, सुनंदा बसोंनकर, सम्यक बौद्ध, सुरेश वैद्य सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे। संगठनों ने चेतावनी दी है कि मांगें पूरी न होने पर आंदोलन को और विस्तार दिया जाएगा।

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