नई दिल्ली, 23 नवंबर 2025 – चंडीगढ़ की प्रशासनिक एवं वैधानिक स्थिति में बदलाव को लेकर पिछले कुछ दिनों से चल रही तमाम अटकलों पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने रविवार को पूर्ण विराम लगा दिया। मंत्रालय ने साफ किया है कि आगामी संसद शीतकालीन सत्र में चंडीगढ़ से संबंधित कोई विधेयक पेश करने का कोई प्रस्ताव नहीं है।
गृह मंत्रालय के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल से जारी बयान में कहा गया है,
“चंडीगढ़ के लिए केंद्र द्वारा कानून बनाने की प्रक्रिया को सरल बनाने का प्रस्ताव अभी विचाराधीन अवस्था में है। वर्तमान शीतकालीन सत्र में इस संबंध में कोई बिल लाने की योजना नहीं है। साथ ही, चंडीगढ़ के पंजाब या हरियाणा के साथ परंपरागत संबंधों को बदलने के बारे में भी कोई चर्चा या प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।”
यह स्पष्टीकरण ऐसे समय में आया है जब कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और सोशल मीडिया पोस्ट में दावा किया जा रहा था कि केंद्र सरकार चंडीगढ़ को पूर्ण केंद्र शासित प्रदेश बनाने या इसके प्रशासनिक ढांचे में बड़े बदलाव करने के लिए शीतकालीन सत्र में ही विधेयक ला सकती है। इन खबरों से पंजाब और हरियाणा दोनों राज्यों के राजनीतिक दलों में बेचैनी बढ़ गई थी।
पृष्ठभूमि में क्या है विवाद?
चंडीगढ़ 1966 से पंजाब और हरियाणा दोनों राज्यों की संयुक्त राजधानी है।
इसका प्रशासन केंद्र सरकार के अधीन है, लेकिन कई सेवाएं और अधिकारी पंजाब कैडर से आते हैं।
समय-समय पर हरियाणा सरकार चंडीगढ़ पर अपना दावा मजबूत करने की मांग उठाती रही है, जबकि पंजाब इसे अपनी अविभाज्य हिस्सा मानता है।
हाल ही में पंजाब विधानसभा ने चंडीगढ़ पर विशेष सत्र बुलाकर अपना दावा दोहराया था।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
पंजाब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रताप सिंह बाजवा ने गृह मंत्रालय के बयान का स्वागत करते हुए कहा, “यह पंजाब की जीत है। केंद्र को समझ आ गया कि चंडीगढ़ पर कोई भी एकतरफा फैसला पंजाब स्वीकार नहीं करेगा।”
आम आदमी पार्टी (पंजाब) के प्रवक्ता ने कहा, “अफवाहें फैलाकर माहौल खराब करने की साजिश थी, गृह मंत्रालय का स्पष्टीकरण समय पर आया।”
हरियाणा के कुछ नेताओं ने हालांकि निराशा जताई और कहा कि चंडीगढ़ पर उनका नैतिक अधिकार बना हुआ है।

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