कविता : नव वर्ष
| - मंजुला श्रीवास्तव, नई दिल्ली |
नई आशा, नई पहल
नया विश्वास, नई तरंग
उठ रही है मन में उमंग
सागर - सा लहरा रहा है
नव वर्ष आ रहा है
छेड़े कोई राग नया
सुंदर, सजीला, सुरीला
तन - मन भिगो दे जो अपना
यह गीत गुनगुना रहा है
नव वर्ष आ रहा है
सपना पुराने वर्ष के
कुछ छोटे- से, कुछ बड़े थे
हुए कुछ पूरे, कुछ रह गए अधूरे - से
सीख नई ला रहा है
नव वर्ष आ रहा है
अनुभव थे कुछ खट्टे, तो कुछ मीठे - से
हुए खुश कभी, तो कभी नम थी आँखे
सारी बातें, हमें भुलवा रहा है
उम्मीदें नई जगा रहा है
नव वर्ष आ रहा है
नए संकल्प हम ले आए
कोई नया लक्ष्य बनाए
पूरा होश, पूरा जोश
आँखों में चमक, ला रहा है
नव वर्ष आ रहा है
समय की कीमत - बहोत उँची
ना करे नादानी
एक समर्पण ले आए
आओ मिल कर
नव वर्ष मनाए
- मंजुला श्रीवास्तव.
नई दिल्ली
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